जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों (Resignations) को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने कड़ी फटकार लगाई है. विधायकों के इस्तीफे लंबे समय तक पेंडिंग रखने पर हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि विधायकों के इस्तीफे इतने लंबे समय तक पेंडिंग रखना होर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देना है. हाईकोर्ट ने 30 जनवरी तक इस मामले में विधानसभा सचिव को हलफनामा दायर करने के लिए कहा है. हलफनामे में हाईकोर्ट ने यह भी जवाब मांगा है कि क्या विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों के इस्तीफे को अनिश्चितकाल के लिए पेंडिंग रखने का अधिकार है. स्पीकर इस्तीफे कितने समय तक रख सकते हैं.
बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विधायकों के कभी इस्तीफा देने और कभी वापस लेने पर भी टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर वे इस तरीके इस्तीफे दे और ले रहे हैं तो जनता की बात कैसे सामने रखेंगे. क्या इससे हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा नहीं मिलेगा. इससे पहले 13 जनवरी को विधानसभा सचिव की ओर से हाईकोर्ट में जवाब पेश किया गया था. उसमें बताया गया कि विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिए क्योंकि 81 विधायकों ने इस्तीफे वापस लेने के लिए आवेदन किया था. 91 नहीं 81 विधायकों ने ही इस्तीफे दिए थे.
गत वर्ष 25 सितंबर को राजस्थान में आया था सियायी भूकंप
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में बीते चार माह से विधायकों के इस्तीफों को लेकर राजनीति चल रही है. गत वर्ष 25 सितंबर को राजस्थान में फिर से आए सियासी भूचाल के समय गहलोत गुट के विधायकों ने अपने-अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए थे. गहलोत गुट के इन विधायकों को डर था कि आलाकमान की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक सचिन पायलट सीएम बनाने का एक लाइन का प्रस्ताव पास कराएंगे. इस आशंका के चलते गहलोत गुट के विधायक पर्यवेक्षकों की ओर से बुलाई गई बैठक में गए ही नहीं और उन्होंने गहलोत कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर अलग से बैठक इस्तीफे देने का फैसला कर लिया.
उपनेता राजेन्द्र राठौड़ मामले को हाईकोर्ट ले गए
उसके बाद राजस्थान कांग्रेस की यह लड़ाई पूरी तरह से सड़क पर आ गई थी. इस मामले में पार्टी ने गहलोत गुट के मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस दिया था. लंबे समय तक इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष के पास पड़े रहने और उन्हें स्वीकार नहीं करने पर पिछले दिनों उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर हाईकोर्ट में बहस चल रही है.