दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal) ने बुधवार को बजट पेश (Delhi Budget 2023) होने के बाद मीडिया से बात करते हुए जानकारी दी कि G8 नाम का एक ‘गवर्नेंस प्लेटफॉर्म’ बन रहा है. उनका दावा है कि इस मंच से जुड़कर हर महीने 8 राज्यों के मुख्यमंत्री, उनमें से किसी एक के राज्य में जाएंगे और वहां जो अच्छे काम हुए, वो देखकर आएंगे ताकि एक दूसरे से सीख सकें. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम केजरीवाल ने इस मंच के राजनीतिक होने के सवाल को पूरी तरह खारिज किया है. हालांकि दो बातें सीएम केजरीवाल के “गैर-राजनीतिक” होने वाले इस दावे पर सवाल खड़ी कर रही हैं. पहला जिन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को न्योता भेजा गया उनसे से एक भी बीजेपी या कांग्रेस शासित नहीं है. दूसरा दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय का इस संबंध में बयान.
G8 क्या है? सीएम केजरीवाल क्या बता रहें?
मीडिया से बात करते हुए सीएम केजरीवाल ने G8 के बारे में बताया है कि “यह एक प्लेटफॉर्म बन रहा है. 8 मुख्यमंत्रियों से मेरी कई दौर की मीटिंग हुई है. यह राजनीतिक प्लेटफॉर्म नहीं है. यह एक गवर्नेंस प्लेटफॉर्म है. वैसे तो आठों मुख्यमंत्रियों को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी घोषणा करनी थी लेकिन मैं यहां प्रोटोकॉल तोड़ते हुए आपको बता रहा.”
“हर महीने, 8 मुख्यमंत्री, उन 8 में से किसी एक के राज्य में जाएंगे और वहां जो अच्छे काम हुए, वो देखकर आएंगे ताकि एक दूसरे से सीख सकें. इसमें कई दौर की बातचीत हो चुकी है.”
मीडिया में इस संबंध में लीक हुए लेटर के बारे में सीएम केजरीवाल ने कहा कि वह सिर्फ घोषणा की तारीख को फाइनल करने के लिए था. लेकिन सब विधानसभा में व्यस्त हैं और उनकी सलाह थी कि इसे मध्य अप्रैल के बाद ही रखा जाए. अभी इसपर काम चल रहा है. कुछ भी फाइनल हुआ तो आपको जानकारी दी जाएगी.
इसे फिर से गैर-राजनीतिक करार देते हुए सीएम केजरीवाल ने कहा कि “इसका 2024 के आम चुनाव से कोई संबंध नहीं. यह कोई मोर्चा नहीं है. यह गवर्नेंस प्लेटफॉर्म है
G8 क्या सच में गैर-राजनीतिक मंच है? दावे पर उठ रहे सवाल
मीडिया में G8 से जुड़े लीक हुए लेटर में उन राज्यों और उनके मुख्यमंत्रियों के नाम है, जिन्हें इस मंच से जुड़ने का न्योता मिला है. ये हैं:
- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान
- केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन
- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन
- तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
- झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
यानी सीएम केजरीवाल जिन 8 राज्यों के बीच गवर्नेंस के मोर्चे पर सहयोग की बात कर रहे हैं उनमें से कोई भी बीजेपी या कांग्रेस शासित नहीं हैं. 5 फरवरी को भेजे गए इस लेटर में अरविंद केजरीवाल ने लिखा है कि यह बैठक देश में विपक्षी नेताओं के लिए एक नई शुरुआत होगी.
यही कारण है कि इसे 2024 के आम चुनाव के पहले कांग्रेस विहीन यूनाइटेड विपक्ष या दूसरे शब्दों में तीसरे मोर्चे की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है.
साथ ही ANI की रिपोर्ट के अनुसार लेटर सामने आने के बाद दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि “सभी तरह के प्रयास और बातचीत चल रही है. इस पूरे देश में सिर्फ पार्टियां ही नहीं बल्कि देश के लोकतंत्र को मानने वाले, देश के संविधान को मानने वाले, सबके मन में बेचैनी है. तरह-तरह के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन फैसला जनता को करना है.”
गोपाल राय ने यह भी कहा है कि, ‘यह पता नहीं है कि इस मोर्चे का नाम पहला, दूसरा या तीसरा मोर्चा होगा, लेकिन यह देश की बात है. देश की जनता में बेचैनी है और आपस में बात कर समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है.”