SPN NEWS. Dated : 13.07.2023
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नौनिहालों की नींव मजबूत करने लिए सरकार उच्च
प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश से पहले बच्चों को भाषा और गणित जैसे विषयों में निपुण बनाने का प्रयास
कर रही है। इसी क्रम में चौथी और पांचवीं कक्षा के बच्चों को भाषा और गणित विषयों में दक्ष बनाने
पर जोर दिया जा रहा है।
कक्षा चार और कक्षा पांच के छात्र-छात्राओं को भाषा और गणित विषयों में दक्ष बनाने के लिए राज्य
परियोजना की तरफ से तैयार कराई गई निर्देशिका के अनुरूप कक्षाओं में शिक्षण कार्य कराने का निर्देश
दिया गया है। वहीं, प्रथम एजूकेशन फाउंडेशन के द्वारा परिषदीय विद्यालयों के कक्षा चार और पांच में
शिक्षण कार्य कर रहे दो-दो शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इन शिक्षकों पर कक्षा चार और कक्षा
पांच के छात्र-छात्राओं को दोनों विषयों में दक्ष करने की जिम्मेदारी है।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि गत वर्षों में कोविड
महामारी के कारण बच्चों की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को कम करने तथा
ग्रेड अनुरूप दक्षताओं की प्राप्ति के लिए विभाग द्वारा विभिन्न गतिविधियां संपादित की जा रही है। इस
संबंध में विभिन्न संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करते हुए अनेक कार्यक्रमों का कियान्वयन किया
जा रहा है।
राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा कक्षा 4-5 की भाषा एवं गणित विषयों की निर्देशिका शिक्षकों को
जनपदों में उपलब्ध कराई गई है। निर्देशिका के अनुरूप ही कक्षा 4 एवं 5 में भाषा एवं गणित विषयों का
शिक्षण कार्य कराया जाना है जिससे कि इन कक्षाओं में अध्ययनरत बच्चों को कक्षानुरूप दक्षताएं प्राप्त
कराई जा सके।
निर्देशिका में कहा गया है कि बुनियादी भाषा और गणित के कौशल पर कार्य करने के लिए नियमित
समय-सारिणी के अनुसार भाषा एवं गणित शिक्षण के लिए क्रमश: 1-1 घंटे की गतिविधियां संचालित
कराई जाएं। इस अवधि में बच्चों को उनके वर्तमान सीखने के स्तर के आधार पर भाषा एवं गणित के
समूहों में विभाजित किया जाए तथा समूहवार शिक्षण कार्य कराया जाए।
वर्तमान सत्र के अनुसार कक्षा 4-5 के समस्त बच्चों का भाषा एवं गणित विषय का बेसिक एवं एडवांस
समूह निर्धारित कर शिक्षण कार्य के लिए आवश्यकतानुसार ग्रुप प्रोग्रेस चार्ट बनाया जाए। एक शिक्षक
द्वारा बेसिक समूह में एवं एक शिक्षक द्वारा एडवांस समूह के साथ शिक्षण कार्य कराया जाए।
निर्देशिका के अनुसार, प्रत्येक 4 सप्ताह की गतिविधियों का क्रियान्वयन करने के बाद बच्चों के साथ
एक सप्ताह तक गतिविधियों की पुनरावृत्ति कराई जाए।