संवेदना एक ऐसी अनुभूति है, जो दूसरों के दर्द को अपना बना देती है। दर्द दूसरों को होता है, पर प्राण अपने छटपटाते हैं। ऐसी ही अनुभूति आरिफ को सारस पक्षी के प्रति हुई थी। घायल सारस होता है पर प्राण आरिफ के छटपटाते हैं। यही संवेदना आरिफ को औरों से अलग करती है। संवेदनाओं के मूल में मानवीय गुण छुपे होते हैं। आरिफ और सारस की कहानी इस समय चर्चा का विषय बानी हुई है। आरिफ ने सारस को घायल अवस्था से उठाकर उसको जीवन दिया। उसका उपचार किया। नतीजतन सारस ने जंगल और अपनी जमात छोड़कर आरिफ के साथ रहने लगा। ऐसा कभी आपने नहीं सुना होगा कि सारस पक्षी किसी व्यक्ति के साथ इस कदर रहता हो। आरिफ चाहता तो सारस की दोस्ती की आड़ में बाबा/मौलवीय बन लोगो से ठगी कर सकता था। आरिफ की जगह कोई पाखंडी होता तो सारस की आड़ में पाखंडी बाबा बन गया होता। जैसा आज कल सुनने में आता है कि फलां बाबा के पास ऐसी शक्ति है कि वो लोगों को वश में कर लिया करते हैं। आरिफ चाहता तो अब तक
पाखंडी बाबा या पाखंडी मौलवीय बनकर कई लोगों को चुना लगा दिया होता। सरकारी तंत्र ने आरिफ से सारस को छीनकर चिड़िया घर के सरकारी पिंजरे में कैद कर दिया। सारस एक संरक्षित पक्षी है।


आरिफ ने सारस को कहीं से पकड़ा नहीं था। उसने तो सारस को घायल अवस्था से उठा कर आज़ाद कर दिया था। सारस का प्रेम ही था कि वो आरिफ के साथ रहने लगा। आरिफ ने सारस को कैद कर के नहीं रखा था। आरिफ ने सारस को कभी कोई नुकसान नहीं पंहुचाया और न ही प्रताड़ित किया, बल्कि घायल पक्षी को जीवन दान देकर उसकी देख भाल ही की थी। वन जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन विभाग ने आरिफ के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी। आज़ाद सारस को
सरकारी तंत्र ने पिंजरे में कैद कर दिया। प्रश्न यह उठता है कि आज़ादी के साथ रहने वाले आरिफ के खिलाफ केस क्यों दर्ज किया गया और उसे नोटिस क्यों दिया गया। आरिफ को सरकारी तंत्र ने अभियुक्त घोषित कर दिया है। अब आज़ाद सारस कैदी बनकर कानपूर के चिड़िया घर में मौजूद है। एक उड़ने और स्वतंत्र रहने वाले पक्षी को वन विभाग ने पिजड़े में कैद कर दिया है। यह कहाँ का न्याय है।

वन विभाग वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। वन विभाग के इस रवैये की पीछे जरूर कोई खेल है। यू पी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आरोप है कि कुछ सप्ताह पहले आरिफ और सारस की दोस्ती की जानकारी मिलने पर वो अमेठी उससे मिलने चले गए थे जिसकी वजह से सरकार ने आरिफ के खिलाफ यह कार्यवाही की।

आरिफ के खिलाफ वन जीव अधिनियम के उल्लंघन का मामला दर्ज क्यों किया गया। आरिफ का गुनाह क्या इतना बड़ा था
जिससे वो अभियुक्त घोषित हो जाए। अखिलेश यादव जी का कहना है कि जब देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय पक्षी मोर को प्रधानमंत्री आवास में दाना खिला सकते हैं तो आरिफ ने सारस को जीवन दान देकर कौन सा गुनाह कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री की बातों में दम है। सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश की जनता इस बात का समर्थन करते दिख रही है।

आरिफ सारस की दोस्ती ने मानवता की मिसाल कायम की थी। प्रेम वासनाओं से ग्रसित नहीं होता है। प्रेम भावनाओ से ग्रसित होता है। समर्पण भावनात्मकता की निशानी है। आरिफ और सारस का एक दूसरे के प्रति समर्पण राम राज्य की परिकल्पना को स्थापित करता है। संत तुलसीदास के रामराज्य की परिकल्पना में वनों में फूल सदा फलते फूलते थे। पशु पक्षी वैर को भूलकर सहज भाव से रहते थे। इंसानों के अंदर पशु पक्षियों के प्रति इंसानियत का होना प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

प्रकृति का सम्मान वातावरण में सामंजस्य स्थापित करता है। सारस पक्षी का रामायण की कथा से भी सम्बन्ध माना जाता है।
वाल्मीकि रामायण की रचना, सारस के एक जोड़े से प्रेरित है?

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