गर्मी में मिट्टी की सुराही और घडे की बढ़ी मांग

स्पेस प्रहरी संवाददाता / अशोक पाठक, बुलंदशहर
शिकारपुर। धीरे- धीरे गर्मी बढ रही है और बढ़ती गर्मी में मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ने लगी है। आधुनिक दौर में जहां बाजार में प्लास्टिक के बर्तनों ने जगह ले ली है। तो वहीं दूसरी ओर लोगों को पारंपरिक मिट्टी से बने घड़े और सुराही आदि अब भी खूब रास आते हैं। जिसके चलते आजकल लोग इन पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों की जमकर खरीदारी कर रहे हैं । मिट्टी के बने बर्तनों को स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी अच्छा माना जाता है। जो लोगों को कई बीमारियों से भी दूर रखते हैं। बढ़ती गर्मी से परेशान आजकल फ्रिज का पानी पीने से घबरा रहे हैं क्योंकि फ्रिज के पानी से गले में खराब होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसलिए अब अधिकतर लोगों अपने घरों में पानी को ठंडा रखने के लिए मटके का इस्तेमाल करने लगे हैं। गरीब का फ्रिज मटके का पानी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। पीढियों से लोगों घरों में मिट्टी के घरों में पानी स्टोर कर इस्तेमाल किया जाता रहा है। दर्शन मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है।
इन दिनों मिट्टी के बने बर्तनों की मांग बढ़ने से दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं। तापमान बढ़ने के साथ ही देसी फ्रीज यानी मिट्टी से बने घड़े और सुराही की बाजार में मांग तेजी से बढ़ गई है । आधुनिक दौर में भी मिट्टी के बने बर्तनों का खास महत्व है। गरीब तबके के लोगों के लिए यह किसी फ्रीज से कम नहीं है। मटके का पानी जहां एक और कई फायदे देता है। वहीं स्वास्थ्य के लिहाज से भी ये काफी लाभकारी माना जाता है। यह वजह है कि आजकल कोतवाली रोड मुफ्ती वाड़ आदि पर सजी मिट्टी के बर्तनों की दुकानों से लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं। क्योंकि मिट्टी के बने बर्तन स्वास्थ्य व पर्यावरण के सबसे काफी फायदेमंद माने जाते हैं जिनको उपयोग में लाकर लोग पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा दे सकते हैं। कुछ ग्राहकों का कहना है कि समय आ चुका है कि हमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ना होगा। वह प्लास्टिक की जगह प्राकृतिक ढंग से तैयार किए गए मिट्टी और अन्य उत्पादो से बने सामान को रोजमर्रा के काम में उपयोग में लाने से भी पर्यावरण में बढ़ रहे दबाव को कम किया जा सकता है। मई माह में जैसे ही गर्मी बड़ी वैसे ही मिट्टी के बर्तनों की डिमांड भी बढ़ गई है। इस सीजन में मटका 70 से ₹150 में बिक रहा है। वहीं टंकी लगा मटका 160 से ₹300 में मिल रहा है। बर्तन विक्रेता महावीर प्रजापति का कहना है कि घड़े के साथ-साथ मिट्टी से बनी बोतल भी काफी बिक रही है जिसकी कीमत 100 से ₹150 तक है।

स्वास्थ्य को नहीं करता प्रभावित

विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी के बर्तनों में पानी रखा जाए तो उसमें मिट्टी के गुण आ जाते हैं इसलिए घड़े में रखा पानी हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है। नियमित रूप से मटके का पानी पीने से हमारी की रक्षा प्रणाली को भी बढ़ावा मिलता है। आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तनों में पानी रखने और उन्हें भोजन पकाने तक के फायदे बताए गए हैं। शिरीष का रखा पानी शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है लेकिन मिट्टी के बर्तन में रखा पानी स्वास्थ्य का प्रभावित नहीं करता यही कारण है कि गर्मियों के दिनों घर मैं फ्रीज होने के बावजूद लोग मिट्टी के बर्तन में रखा पानी पीते हैं क्योंकि गले को तर कर देता है। इतना ही नहीं मिट्टी के घड़े में रखे पानी में सोंधी खुशबू भी रहती है। खासकर गर्मी के मौसम में तो मिट्टी के बर्तन में पानी पीने के कुछ आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।

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