मौहम्मद साहब की बेटी व नवासे का मज़ार बनवाने के लिए हस्ताक्षर अभियान को दी रफ्तार स्पेस प्रहरी सुहैब खाँन बुलंदशहर। अंजुमन नक़्शे हुसैनी ने सऊदी अरब हुकूमत द्वारा लिए गए एक सौ साल पुराने फैसले के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करते हुए उस फैसले की कड़ी आलोचना की है साथ ही सऊदी अरब स्थित जन्नतुल बक़ी में मज़ार बनावाने के लिए हस्ताक्षर अभियान तेज़ किया है।
सय्यद अली अब्बास नौगनवीं ने जानकारी देते हुए बताया कि आज से सौ साल पहले यानी अरबी तारीख के मुताबिक (8 शव्वाल 1344 हिजरी) में तत्कालीन सऊदी हुकूमत (आल ए सऊद) के हाथों जन्नतुल बक़ी में मौजूद पैग़म्बर मौहम्मद साहब की इकलौती बेटी हज़रत फा़तिमा ज़ेहरा व मौहम्मद साहब के नवासे इमाम हसन अलैहिस्सलाम समेत अन्य अइम्मा और सहाबा इकराम के रोज़े (मज़ार) को बातिल नज़रिए की बुन्याद पर नष्ट करदिया गया था।
सौ साल पूरे होने पर मंगलवार को ऊपर कोट स्थित अंजुम- ए- नक़्शे हुसैनी के मोमिनीन ने (आल-ए-सऊद) के इस कदम को नाजायज़ बताते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की । तथा सऊदी हुकूमत से दोबारा इन मज़ारों के निर्माण की ज़ोरदार मांग की है । साथ ही अंजुमन नक़्शे हुसैनी ने हस्ताक्षर अभियान में में भाग लेते हुए यूनाइटेड नेशन को एक मेमोरैंडम भेजा है जिसमें आल-ए-सऊद के इस क़दम को इंसानी हुक़ूक़ की ख़िलाफ़ वर्ज़ी करार देते हुए यूनाइटेड नेशन से इस मामले में हतक्षेप की अपील की है कि वह उक्त मामले में जल्द से जल्द सऊदी हुकूमत को पाबंद बनाने के लिये दबाव बनाए।
इस मोके़ पर मौजूद तमाम उल्माए इकराम ने जन्नतुल बकि की के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला व उसके पुनः निर्माण के लिए सऊदी सरकार से अपील की ।