दंतेवाड़ा में 26 अप्रैल को लंबे समय के बाद नक्सलियों ने बड़ी घटना को अंजाम दिया. इसमें डीआरजी के 10 जवान शहीद हो गए और एक ड्राइवर की मौत हो गई.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बुधवार को हुए बड़े नक्सली हमले में जान गंवाने वाले 10 जवानों में से एक जवान ऐसा भी रहा, जिनके अंतिम संस्कार से उनके गांव वालों ने मना कर दिया. जवान के पार्थिव शरीर को ग्रामीणों ने गांव में लाने से मना किया. कहा जा रहा है कि नक्सलियों के दबाव की वजह से अंतिम संस्कार नहीं करने दिया जा रहा. एनडीटीवी ने जवान के भाई से बातचीत की जो खुद डीआरजी जवान हैं.
इस संबंध में एक जवान के भाई मंगलू राम मंडावी ने NDTV से बताया कि कल के हमले में उनके चचेरे भाई दुलगो मंडावी भी शहीद हो गए हैं, लेकिन आज जब उनकी बात गांव के सरपंच से हुई तो उन्होंने शहीद जवान के शव को गांव लाने से मना कर दिया.
मंगलू ने बताया कि इसके पीछे नक्सलियों का दबाव है. शहीद जवान दुलगो मंडावी के पिता की भी नक्सलियों ने 2017 में हत्या कर दी थी. मंगलू भी आज डीआरजी में है और जब जवानों के साथ टीम में सर्चिंग पर जाते हैं, तभी अपने गांव जा पाते हैं. अंदरूनी क्षेत्र के जो जवान हैं, उनके परिवारवालों से भी नक्सली अक्सर मारपीट किया करते हैं.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 26 अप्रैल को लंबे समय के बाद नक्सलियों ने बड़ी घटना को अंजाम दिया. इसमें डीआरजी के 10 जवान शहीद हो गए और एक ड्राइवर की मौत हो गई. आज दंतेवाड़ा की पुलिस लाइन कारली में सभी जवानों को अंतिम सलामी दी गई, जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू भी मौजूद रहे. पीएम मोदी ने भी नक्सली हमले की कड़ी निंदा की है.