SPN NEWS. Dated : 17.07.2023
नई दिल्ली, 17 जुलाई (वेब वार्ता)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले दिनों यमुना के विकराल रूप के
बाद अब पानी का स्तर धीरे-धीरे नीचे जा रहा है-गुरुवार को यमुना रिकॉर्ड ऊंचाई के स्तर पर पहुंच कर
208.66 मीटर पर बह रही थी, लेकिन रविवार को यह स्तर घटकर 206.15 मीटर दर्ज किया गया है-
हालांकि इसके बाद भी बाढ़ में डूबी दिल्ली की सड़कों पर पानी में कोई खास कमी आती नहीं दिख रही
है.
यमुना पर बने बैराज के दरवाजों के जाम होने और देर रात हुई बारिश ने यहां सड़कों को बाढ़ग्रस्त बनाए
रखा है-इस दौरान राजघाट स्मारक और दिल्ली के सबसे व्यस्ततम चौराहे आईटीओ के आसपास की
सड़कें अब भी जलमग्न हैं और लोगों को आवाजाही में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है-
भारतीय सेना शुक्रवार को बैराज का एक दरवाजा खोलने में कामयाब रही थी, लेकिन अभी भी 32 में से
4 दरवाजे जाम ही हैं.
सुप्रीम कोर्ट के पास एक ड्रेन के टूटने की वजह से भी अधिकारी दो दिन तक परेशानी से जूझते रहे-
इसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट और राजघाट के बाहर बाढ़ की नौबत आ गई थी-सेना और आपदा प्रबंधन के
लोगों ने इस दरार को बंद कर दिया है, लेकिन शनिवार को हुई बारिश से शहर के भीतर जलजमाव फिर
से बढ़ गया.
बोरियों की दीवार बनाकर रोक रहे हैं बहाव
दिल्ली के बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘पानी को शहर में बहने से रोकने के
लिए हमने बोरियों की एक दीवार बनाई है-वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यमुना का
जलस्तर धीरे-धीरे नीचे जा रहा है और अगर बहुत तेज बारिश नहीं होती है तो जल्दी ही स्थिति सामान्य
हो जाएगी, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बाढ़ का खतरा अभी टला नहीं है.
लाल किले पर यमुना लौटी अपने पुराने पथ पर
एक ओर जहां पिछले हफ्ते पूरे उत्तर भारत में हुई भारी बारिश के चलते दर्जनों लोगों की मौत हो गई,
वहीं दिल्ली में बाढ़ ने खासी तबाही मचाई-यमुना के बहाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है
कि दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के आसपास की सड़कों पर यमुना पूरी तरह से फैल गई है-ऐसा
बताया जा रहा है कि यह वही जगह है, जहां से कभी पुराने वक्त में यमुना बहा करती थी.
इन हालात के मद्देनज़र शहर में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय रविवार तक बंद रखे गए हैं-कुछ
दुकानें और व्यवसाय भी बंद कर दिए गए हैं-निचले इलाकों में रह रहे हज़ारों लोगों को स्कूलों और अन्य
इमारतों में बनाए गए अस्थायी राहत केंद्रों में ले जाया गया-इसके साथ ही कई लोगों ने तंबुओं और
फ्लाईओवर के नीचे भी शरण ली-सरकार ने जो राहत शिविर बनाये थे, उनमें से कुछ भी अब पानी में
डूब गए हैं.