—और अब लूम्बिया तालाब के जीर्णोद्धार के लिए जिलाधिकारी ने सम्भाली कमान
तमाम तरह की सम्भावना तलाशने के लिए निजी कंपनी हाथ बढाने को तैयार
आय के स्रोत बढे तो तालाब का सौंदर्यीकरण होगा सोने में सुहागे जैसा
Reported by डॉ योगेश कौशिक, संवाददाता SPN इंडिया, बागपत, Dated : 14/06/2022
बागपत | करीब 12 किमी की लूम्बिया बरसाती नदी के पुनरुद्धार के लिए श्रमदान की मुहिम चलाकर जनमानस में जल संरक्षण किए जाने और जल की बरबादी रोकने का सफल संदेश देने वाले जिलाधिकारी डा राजकमल यादव ने अब गांव के बड़े तालाब की सफाई, सौंदर्यीकरण और उसकी उत्पादन के क्षेत्र में भी उपयोगिता तलाशने की कवायद शुरू की है |
वैसे तो गांव लूम्ब का यह तालाब करीब 120 बीघा के बडे क्षेत्रफल में दर्ज है, किंतु कभी खुदाई न होने, सफाई न होने व जरूरी देखरेख के अभाव में काफी कम रह गया है, वही जितना बचा भी है उसमें समुद्र सोख और दूसरी झाड झंकाड से अपने अस्तित्व को खोने लगा है | इसी कारण से गाँव में भी जल निकासी की समस्या बराबर बनी रहती है |
ग्रामीण तो बताते हैं कि बहुत बडे तालाब के कारण ही उनके गाँव का नामकरण हुआ था। उसके अस्तित्व पर आए संकट से जागरूक ग्रामीणों ने बचाने के लिए युवा समाजसेवी मनीष चौहान के नेतृत्व में मुहिम चलाई, तो जिलाधिकारी राजकमल यादव तालाब की दुर्दशा देख स्वयं आश्चर्य में पड गये और गम्भीर होकर तालाब को साफ सुथरा, वर्षा जल संग्रह की अपार सम्भावना को साकार करने व सौंदर्यीकरण की बहुआयामी योजना बनाने में जुट गए |
सूत्र बताते हैं कि यदि सब कुछ अनुकूल रहा तो, गाँव ही नहीं आसपास के जनपद के लोग भी लुम्बिया तालाब के सौदर्य, उपादेयता और जल संग्रह की क्षमता को देख उदाहरण प्रस्तुत करेंगे
बताया जा रहा है कि इस तालाब के संरक्षण, संवर्धन और सौदर्य किए जाने को लेकर जल्दी ही किसी प्राइवेट कंपनी को कहा जा सकता है | वह कंपनी स्वयं के धन और श्रम के जरिये वह सब करेगी, जैसा ग्रामीणों के लिए तथा जल निकासी के लिए भी जरूरी हो |
सूत्र बताते हैं कि गाजियाबाद की एक कंपनी ने तालाब की साफ सफाई, रखरखाव, सौदर्य करने को लेकर अपनी इच्छा जताई है | कंपनी यह भी संभावना तलाश करेगी कि तालाब की अथाह जलराशि और विशाल क्षेत्रफल से गाँव और स्वयं उसके लिए आय के अतिरिक्त स्रोत भी हो सकते हैं |
समाजसेवी मनीष चौहान सत्य प्रकाश दीपक मान संदीप पाल बहादुर सिंह राहुल सुभाष सिंह आदि भी ऐसा ही चाहते हैं कि गंदगी हटे, जल निकासी की समस्या का समाधान हो तथा तालाब एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा सके और ऐसे में यदि इससे ग्राम पंचायत के लिए आय के स्रोत भी बढते हैं तो सोने में सुहागा ही होगा |