मुंबई । यदि भारत सॉवरेन बांड की बिक्री से विदेशी बाजार से धन जुटाता है, तो इसके लिए विशेष सेफगार्ड यानी रक्षोपाय की जरूरत होगी। एक रिपोर्ट में शुक्रवार को यह बात कही गई। इन उपायों में ऋण सीमा को परिभाषित करना भी शामिल है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने अपने बजट भाषण में विदेशों में सॉवरेन बांड जारी करने के मुद्दे को उठाया था। इसको लेकर यह सवाल उठने लगा था कि क्या देश को ऐसा कदम उठाना चाहिए क्यों कि 1991 के संकट के समय भी इस तरह का कदम नहीं उठाया गया था। इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि सरकार विदेशी मुद्रा में सॉवरेन कर्ज के विकल्प को चुनती है तो इसके साथ एक बेहतर तरीके से तैयार नीति या विशेष सेफगार्ड भी होने चाहिए, क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार चालू खाते के बजाय पूंजी खाते के अधिशेष का संग्रह होता है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इसे करने का एक रास्ता इसको वित्तीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन कानून का हिस्सा बनाना है। इसमें सालाना सीमा और विदेशी मुद्रा में सॉवरेन कर्ज परिभाषित है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकार ने अभी तक इसमें काफी सतर्क रुख अपनाते हुए सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश की सीमा तय की है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *