उज्जैन, 22 जुलाई । श्रावण माह के पहले सोमवार को 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ा। सोमवार तड़के महाकालेश्वर का महा पंचामृत से अभिषेक किया गया, जिसके बाद विधि-विधान से महाकाल की भस्म आरती हुई। भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया। इस दौरान भस्मारती में शामिल होने के लिए काफी संख्या में भक्तगण पहुंचे। श्रावण माह का पहला सोमवार होने की वजह से रविवार देर रात से ही अन्य राज्यों से काफी संख्या में भक्त महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल के दर्शन करने पहुंचने लगे थे। देर रात से सोमवार सुबह तक दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े भक्तों ने अपनी बारी का इंतजार किया और दर्शन कर बाबा का आशीर्वाद लिया। सोमवार तड़के बाबा महाकाल की भस्मारती शुरू हुई। भस्मारती से पूर्व बाबा का जल चढ़ाकर महा पंचामृत अभिषेक किया गया, जिसमें दूध, दही, घी, शहद व फलों के रस शामिल था।अभिषेक के बाद भांग और चन्दन से भोलेनाथ का आकर्षक श्रृंगार किया गया और भगवान को वस्त्र धारण कराए गए। इसके बाद बाबा को भस्म चढ़ाई गई। भस्मिभूत होने के बाद झांझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े व शंखनाद के साथ बाबा की भस्मारती की गई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।उल्लेखनीय है कि आज शाम महाकाल बाबा की पहली सवारी निकलेगी। इसमें भगवान महाकाल मनमहेश रूप में रजत पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। महाकालेश्वर की एक झलक पाने को हजारों भक्त उमड़ेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी राजाधिराज को सलामी देगी। इसके बाद सवारी शिप्रा तट की ओर रवाना होगी। निर्धारित मार्गों से होकर सवारी मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी, जहां पुजारी शिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात् सवारी पुन: मंदिर की ओर रवाना होगी। बाबा महाकाल की 6 सवारी निकलेगी : इस बार श्रावण मास में चार और भादो मास में भगवान की दो सवारी निकलेंगी। 22 जुलाई को पहली, 29 जुलाई को दूसरी, पांच अगस्त को तीसरी, 12 अगस्त को चौथी, 19 अगस्त को पांचवीं सवारी निकलेगी। 26 अगस्त को अंतिम शाही सवारी निकलेगी।

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