इस्लामाबाद, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कहा कि भारत के साथ सामान्य रिश्ते दोनों मुल्कों के लिए फायदेमंद हैं और ‘शांतिपूर्ण पड़ोस’ उनकी विदेशी नीति की प्राथमिकता है। विदेश कार्यालय के मुताबिक, प्रधानमंत्री खान एवं ट्रंप के बीच सोमवार को व्हाइट हाउस में हुई बैठक 2015 के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के बीच शिखर सम्मेलन स्तरीय वार्ता है। खान ने ट्रंप के साथ अपनी बातचीत में रेखांकित किया, ‘‘पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के असल विवाद समेत लंबे वक्त से विवादित सभी मसलों को बातचीत और कूटनीति के जरिए हल करना जारी रखेगा।’’ खान अमेरिका की तीन दिन की यात्रा पर गए हुए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की विदेश नीति की प्राथमिकता ‘शांतिपूर्ण पड़ोस’ है। विदेश कार्यालय ने बताया कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम रहने से पाकिस्तान विकास तथा क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए अपने समृद्ध मानव संसाधन का इस्तेमाल कर सकता है। विदेश कार्यालय ने बताया, ‘‘ प्धानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि भारत के साथ रिश्ते सामान्य होना दोनों मुल्कों के लिए फायदेमंद होगा।’’ राष्ट्रपति ट्रंप भी ‘कश्मीर विवाद के हल के लिए भूमिका निभाने को’ तैयार हैं। उन्होंने अफगान शांति और सुलह प्रक्रिया की भी समीक्षा की। विदेश कार्यालय ने बताया, ‘‘प्रधानमंत्री खान ने दोहराया कि पाकिस्तान प्रक्रिया का समर्थन करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को जारी रखना साझी जिम्मेदारी है।’’ पाकिस्तान के शिष्टमंडल में सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा और आईएसआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद शामिल हैं। विदेश कार्यालय ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान की यात्रा करने का खान का न्योता स्वीकार कर लिया है। इस बीच, मंगलवार को पाकिस्तानी मीडिया ने कश्मीर के मुद्दे पर ट्रंप की पेशकश को अच्छी कवरेज दी है। इस मुद्दे से संबंधित खबरों को पहले पन्ने पर छापा गया है। ‘डॉन’ अखबार ने खबर दी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है। पहले पन्ने पर छपी खबर की सुर्खी ‘ ट्रंप ने मोदी के अनुरोध पर कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की।’’ ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने खबर की सुर्खी दी है, ‘‘ ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराने विवाद पर मध्यस्थता की पेशकश की जो मुद्दे को द्विपक्षीय बताने की अमेरिका की पुरानी नीति में बदलाव का संकेत।’’

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