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नई दिल्ली । देश में स्वच्छ पेयजल की कमी, भूजल के गिरते स्तर जैसी समस्याओं के बीच देश दुनिया के विशेषज्ञों ने बुधवार को तीसरे विश्व जल शिखर सम्मेलन में जल संरक्षण, संचयन एवं उपयोग के लिये व्यवस्थित तंत्र बनाने तथा पानी का अपव्यय रोकने के लिये जरूरी शासकीय उपाय एवं जागरूकता फैलाने की वकालत की। विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या तथा तेजी से विकास कर रहे देश की बढ़ती जरूरतों के साथ जलवायु परिवर्तन के सम्भावित प्रतिकूल प्रभाव से जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता प्रतिवर्ष कम होती जा रही है। जल की तेजी से बढ़ती मांग को देखते हुए समय रहते इसका समाधान निकाला जाना जरूरी है। वर्ल्ड वाटर समिट के अध्यक्ष डा. ए.के गर्ग ने कहा कि तीसरे विश्व जल शिखर सम्मेलन का मुख्य विषय ‘‘ सभी के लिये स्वच्छ एवं सुरक्षित पेयजल’’ है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन, दक्षिण अफ्रीका, डेनमार्क, म्यामां जैसे देशों के विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन को संबोधित करते हुए एनर्जी एंड एनवायर्मेंट फाउंडेशन के अध्यक्ष अनिल राजदान ने कहा कि पृथ्वी के आकार को ध्यान में रखें तब पानी अधिक मात्रा में है लेकिन पीने योग्य पानी काफी कम है। हमारे शरीर को भी पानी की काफी जरूरत होती है। ऐसे में पानी के बिना नहीं रहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में जल संरक्षण, संचयन एवं उपयोग के लिये व्यवस्थित तंत्र बनाना एवं लोगों में इस संबंध में जागरूकता फैलाना जरूरी है। बहरहाल, सम्मेलन के आयोजन स्थल एनडीसीसी सभागार के सामने ही जंतर मंतर पर नर्मदा नदी पर बांध से प्रभावित एवं विस्थापित मध्यप्रदेश से आए लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि यहां पानी को लेकर बड़े दावे किये जाते हैं लेकिन बड़े बड़े बांधों के कारण विस्थापित होने वाले लोगों की सुध नहीं ली जाती है। यहां तीसरे विश्व जल शिखर सम्मेलन के साथ 10वां विश्व नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी कांग्रेस भी आयोजित की जा रही है। बहरहाल, सरकार ने हाल ही में ‘जल शक्ति अभियान’ शुरू किया है जिसके तहत देश के 256 जिलों के अधिक प्रभावित 1,592 खंडों पर जोर दिया जाएगा। यह अभियान पांच बिंदुओं जैसे जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन, परंपरागत और दूसरे जल निकायों के नवीनीकरण, जल के दोबारा इस्तेमाल और ढांचों के पुनर्भरण, जलविभाजन विकास और गहन वनीकरण, पेयजल की सफाई पर केंद्रित है। जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि ‘हर घर जल’ की योजना को 2050 की आवश्यकता को ध्यान में रखकर आगे बढ़ाया जा रहा है। उनका कहना है कि देश में बारिश और अन्य संसाधनों से मिलने वाले जल का मात्र पांच प्रतिशत ही पेयजल में इस्तेमाल होता है। देश के ऐसे जलस्रोतों को चिन्हित किया गया है जहां गुणवत्ता प्रभावित है।

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