नई दिल्ली, 11 अगस्त । संसद में शून्यकाल में उठाये गए मुद्दों पर सरकार से जवाब नहीं मिलने की शिकायतों के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि पहली बार लोकसभा में शून्यकाल में उठाये गए सभी विषयों को आगे की कार्रवाई और उत्तर के लिए सम्बन्धित मंत्रालयों को भेजने की पहल शुरू की गई है। संसद के दोनों सदनों में विभिन्न दलों के सांसदों की लम्बे समय से यह शिकायत रही है कि शून्यकाल और विशेष उल्लेख के तहत उनके द्वरा उठाये गए विषयों एवं मुद्दों पर उन्हें सरकार से जवाब नहीं मिलता। राज्यसभा में हाल ही में सपा सांसद जया बच्चन ने मांग की थी कि हम यहां सिर्फ बोलते हैं और सरकार से जवाब नहीं मिलता है। ऐसे में समयबद्ध तरीके से जवाब मिलना चाहिए। इसका कई सदस्यों ने समर्थन किया था। लोकसभा में आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन भी इस विषय को उठा चुके हैं। प्रेमचंद्रन का कहना है कि शून्यकाल के दौरान कई सदस्य अपने क्षेत्र और जनता से जुड़े लोक महत्व के विषय को उठाते हैं और अपेक्षा रखते हैं कि सरकार इन बिन्दुओं पर संज्ञान ले और इन विषयों पर की गई कार्रवाई से उन्हें अवगत कराये। लेकिन आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। बसपा के दानिश अली का भी कहना है कि सरकार को शून्यकाल में सदस्यों द्वारा उठाये गए विषयों पर जवाब देना चाहिए। इस बारे में पूछे जाने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ‘‘भाषा’’ को बताया, ‘‘ हाल में सम्पन्न सत्र में लोकसभा में शून्यकाल में उठाये गए सभी विषयों को आगे की कार्रवाई और उत्तर के लिए सम्बन्धित मत्रालयों को संदर्भित कर दिया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है। ’’ उन्होंने कहा कि पहले शून्यकाल में उठाये गए विषयों को संदर्भित नहीं किया जाता था। अब ऐसी पहल की गई है। सदस्यों द्वारा उठाये गए कई विषय राज्यों से संबंधित होते हैं तो ऐसे विषय अलग होते हैं। राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने भी शून्यकाल में उठाये गए विषयों के बारे में शिकायतों पर हाल ही में कहा था कि मंत्रियों को शून्यकाल में उठाये गए विषयों पर 30 दिनों में जवाब देना चाहिए। गौरतलब है कि लोकसभा में कार्यवाही का पहला घंटा (11 से 12 बजे) प्रश्नकाल कहलाता है जबकि राज्यसभा में कार्यवाही के पहले घंटे को शून्यकाल कहते हैं। प्रश्नकाल में सांसद विभिन्न सूचीबद्ध मुद्दों पर प्रश्न करते हैं जिसकी शुरुआत राज्यसभा में 12 बजे से होती है। वहीं, शून्यकाल में सांसद बगैर तय कार्यक्रम के लोक महत्व के मुद्दों को रखते और विचार व्यक्त करते हैं।