नई दिल्ली । पूंजी बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों की सुरक्षा और नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंडित करने की और पुख्त व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में कुछ और कड़े कदम उठाने की तैयारी में है। नियामक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर कड़ी निगरानी रखने और कंपनियों में भेदिया कारोबार के बारे में जानकारी देने वालों को एक करोड़ रुपये तक का पुरस्कार देने जैसे उपायों पर गौर कर रहा है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) नगर निगमों द्वारा धन संसाधन जुटाने के लिये जारी किये जाने वाले ‘मुनी बॉंड’ के मामले में भी नियमों को सरल बनाने की योजना बना रहा है। नियामक अब स्मार्ट शहरों के विकास कार्यों में शामिल दूसरी इकाइयों को भी इस तरह के बॉंड जारी करने की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। नगर निकायों की ही तरह काम करने वाले दूसरे उद्यम अथवा निकाय भी ‘मुनिशिपल बॉंड’ जारी कर धन जुटा सकेंगे और उन्हें शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया जायेगा। अधिकारियों ने कहा कि सेबी निदेशक मंडल की बैठक बुधवार को मुंबई में होने जा रही है। इस बैठक में तमाम मुद्दों पर बात होगी और निर्णय लिया जायेगा। बैठक में म्युचूअल फंड और स्टार्ट अप की सूचीबद्धता प्लेटफार्म के बारे में भी चर्चा हो सकती है। बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों से जुड़ी सूचनाओं को ‘ग्राहक गोपनीयता’ का हवाला देते हुये नहीं बताये जाने और उनके कर्ज भुगतान में असफल रहने जैसी सूचनाओं के नहीं मिलने के बारे में सेबी अब अपने नियमों को कड़ा करने जा रहा है और ऐसी सूचनाओं को क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को उपलब्ध कराना अनिवार्य बनाने जा रहा है। आईएल एण्ड एफएस का सबसे बड़ा ऐसा मामला सामने आया है। कंपनी करोड़ों रुपये का कर्ज नहीं चुका पाई, इसमें असफल रही और रेटिंग एजेंसियों ने ऐसी कोई जानकारी नहीं दी। इस मामले में रेटिंग एजेंसियां भी अब संदेह के घेरे में आई हैं कि उन्होंने संभावित जोखिम के बारे में क्यों नहीं बताया। सेबी का अब रेटिंग एजेंसियों को लेकर अपने नियमों में संशोधन का प्रस्ताव है। इन एजेंसियों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वह किसी भी सूचीबद्ध अथवा गैर- सूचीबद्ध कंपनियों को रेटिंग देने से पहले उनके मौजूदा और भविष्य में लिये जाने वाले कर्ज के बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त करेगी। सेबी ने भेदिया कारोबार के बारे में सूचना देने वालों को एक करोड़ रुपये तक का पुरस्कार देने का भी प्रस्ताव किया है। गोपनीय सूचना देने के लिये एक अलग हॉटलाइन भी रखी जायेगी। जांच में सहयोग करने पर मामूली गलतियों के लिये माफी अथवा निपटान समझौता भी किया जा सकेगा। सेबी के एजेंडा में और भी कई प्रस्ताव हैं। म्युचूअल फंड के मामले में सेबी चाहता है कि कोष अपने समूचे निवेश को सूचीबद्ध कंपनियों अथवा सूचीबद्ध होने जा रही कंपनियों की इक्विटी और रिण प्रतिभूतियों में निवेश करें। यह काम चरणबद्ध ढंग से किया जायेगा। म्युचूअल फंड को बिना रेटिंग वाली रिण प्रतिभूतियों में 25 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत पर लाना होगा।