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नई दिल्ली, 28 जुलाई । यमुना नदी के किनारे खेतों में उगायी जा रही सब्जियों में खतरनाक स्तर की धातुएं पाई गई हैं जिससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) के अध्ययन के अनुसार, सात तरह की सब्जियों गोभी, फूल गोभी, मूली, बैंगन, धनिया, मेथी और पालक में धातु की सांद्रता की स्थिति का पता लगाने के लिए पूर्वी दिल्ली के तीन स्थानों से नमूने एकत्र किए गए। सब्जियों के नमूने उस्मानपुर खादर, गीता कॉलोनी और मयूर विहार से लिए गए तथा उनमें सीसा, निकल, कैडमियम और मर्क्यरी जैसी धातुओं की मौजूदगी का परीक्षण किया गया। रिपोर्ट में गीता कॉलोनी से एकत्र किए गए धनिये में अधिकतम सीसा पाया गया। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अनुसार, सब्जियों में सीसा की सुरक्षित सीमा 2.5 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम है। यमुना के मैदानी भाग से एकत्र की गई सब्जियों में सीसे का स्तर 2.8 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम से 13.8 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशों पर किए गए नीरी के अध्ययन में कहा गया है, ‘‘भारी धातुओं की मौजूदगी वाले खाद्य पदार्थ लंबे समय तक खाने से मानव शरीर में कई जैविक और जैव रासायनिक प्रक्रियाएं बाधित हो सकती हैं।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘भारी धातुओं की विषाक्तता ऊर्जा का स्तर कम कर सकती है और मस्तिष्क, फेफड़े, किडनी और यकृत के संचालन को नष्ट कर सकती है। यह खून बनने की प्रक्रिया और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को भी नष्ट कर सकते हैं। लंबे समय तक ये मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से कैंसर भी हो सकता है।’’ रिपोर्ट में कहा गया कि कैडियम, मर्क्यरी और निकल जैसी अन्य धातुएं एफएसएसएआई के मानकों से कम पाई गई। नीरी ने कहा, ‘‘इस अध्ययन में ज्यादातर सब्जियों में केवल सीसे की मात्रा एफएसएसएआई के मानकों से अधिक पाई गई इसलिए हमें यह पता करने की जरुरत है कि सब्जियों में कहां से सीसा मिल रहा है। सीसे के संभावित स्रोत ऑटोमोबाइल, बैटरी, पेंट, पॉलिथीन, कीटनाशक और सीसा प्रसंस्करण इकाई हैं।’’

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