तेल अवीव । भारत में हो रहे आर्थिक बदलाव, कामगारों की संख्या में वृद्धि तथा बढ़ते शहरीकरण से अगले दशक में रीयल एस्टेट क्षेत्र में निवेश के अवसर बढ़ेंगे। एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।क्रेडाई और सीबीआरई की यहां रीयल एस्टेट सम्मेलन में जारी संयुक्त रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुये कहा गया है कि आने वाले समय में भारत में आवासीय क्षेत्र, कार्यालय, खुदरा तथा वेयरहाउस के क्षेत्र में संपत्तियों की मांग में वृद्धि देखने को मिलेगी। सीबीआरई ने रिपोर्ट में कहा कि साथ में काम करने, साथ में रहने, छात्रों के लिये आवासीय सुविधाओं और रीयल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट जैसी नयी संपत्ति श्रेणियों की अगुवाई में 2030 तक रीयल एस्टेट क्षेत्र तेजी से वृद्धि करेगा। रिपोर्ट में कहा गया कि 2030 तक कार्यालय से संबंधित संपत्ति का आकार बढ़कर एक अरब वर्गफुट पर पहुंच जाएगी तथा इसमें आठ-10 प्रतिशत हिस्सेदारी लचीले कामकाजी क्षेत्र की होगी। रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक खुदरा दुकानों का स्टॉक 12 करोड़ वर्गफुट और भंडारण स्टॉक 50 करोड़ वर्गफुट पर पहुंच जाएगा। इस दौरान आवासीय क्षेत्र के मौजूदा 15 लाख इकाइयों से बढ़कर करीब करीब दोगुना होने की संभावना है। क्रेडाई- सीबीआरई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रहे बदलाव और इसके कार्यबल के विस्तार के साथ इसमें रीयल एस्टेट क्षेत्र में विकास और निवेश की व्यापक संभावनायें होंगी।’’ भारत में शहरों के विकास के साथ ही इसका निर्माण क्षेत्र के परिवेश पर भी असर होगा। इस दौरान प्रौद्योगिकी, जनसांख्यिकीय और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे नये मूल्यों के वाहक बन जायेंगे। क्रेडाई के अध्यक्ष सतीश मागर ने रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘दीर्घकालिक वृद्धि संभावना के लिहाज से भारत उच्च प्राथमिकता वाला बाजार बना रहेगा। पिछले कुछ सालों के दौरान क्षेत्र में बढ़ते निवेश को देखते हुये यह बात साबित होती है।’’ सीबीआरई के भारत, दक्षिण पूर्वी एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के चेयरमैन और सीईओ अंशुमान मैगज़ीन ने कहा, ‘‘सकारात्मक नीतिगत सुधारों और मजबूत कार्यबल के उभरने से भारत में आर्थिक वृद्धि की चाल स्थिर बनी हुई है और आने वाले दस साल में यह केवल मजबूती के साथ आगे ही बढ़ेगी।’’