जयपुर, 27 जुलाई । राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सीए प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सीए विजय गर्ग ने कहा है कि भाजपा की आर्थिक नीतियों के कारण देश में आम जनता का अचल सम्पत्ति एवं शेयर मार्केट में निवेश के प्रति विश्वास उठा है और शेयर बाजार में लगभग 800 लाख करोड़ रूपये से अधिक डूब गया है।
श्री गर्ग ने कहा कि आज सीए प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें बजट के बाद शेयर मार्केट की गिरावट एवं भाजपा की आर्थिक नीतियों पर गहन चिंतन एवं विश्लेषण किया गया और सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण के बाद यह बात कही गई है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का बजट-2, गत एक जुलाई को पेश किया गया था एवं बीएसी के आंकड़ों के अनुसार जो कम्पनयिां शेयर मार्केट में रजिस्टर्ड है उनका इक्विीटी मार्केट कैपीटल लगभग 152.55 लाख करोड़ रूपये था जो कि 26 जुलाई को घटकर 143.82 लाख करोड़ रूपये रह गया।
इस प्रकार पिछले 25 दिनों से भी कम समय में आम जनता का 753 लाख करोड़ रूपये से शेयरों की कीमत कम हो गई और यह कहा जा सकता हैं कि लगभग 800 लाख करोड़ रूपये आम जनता का पैसा भाजपा की आर्थिक नीतियों के चलते शेयर मार्केट में डूब गया है। उन्होंने कहा कि जनता अपना अधिकांश निवेश या तो अचल सम्पत्ति में करती है या शेयर मार्केट में करती है। यह निवेश गांव से लेकर शहर की एवं अनपढ़ से लेकर पढ़ी लिखी जनता सभी का अधिकांश निवेश इन्हीं अचल सम्पत्ति या शेयर मार्केट में होता है। भाजपा की आर्थिक नीतियों के चलते अचल सम्पत्ति, व्यापार पिछले तीन वर्षों से लगभग नहीं के बराबर है।
नोटबंदी के बाद बाजार में नकदी कम हो गई थी जिस कारण अचल सम्पत्तियों में निवेश लगभग शून्य हो गया था। सरकारी नीतियों के कारण आमजनता को दोनों ही जगह निवेश में नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश में वेतन भोगी एवं आयकर देने वाले अधिकांश लोग अपना निवेश शेयर बाजार में करते हैं, लेकिन गत जनवरी को भाजपा के द्वारा शेयरों पर दीर्घकालीन पूँजीगत लाभ पर कर लगा दिया गया एवं वर्तमान में बजट में जो रिच सरचार्ज लगाया गया। पहली बार कम्पनियों के द्वारा शेयर बाई बेक पर कर लगा दिया गया है जिसके चलते शेयर मार्केट में बिकवाली का दौर चालू है एवं पिछले 19 सालों की सबसे बड़ी मंदी शेयर मार्केट में भाजपा की आर्थिक नीतियों के कारण देखने को मिल रही है।
श्री गर्ग ने बताया कि शेयर मार्केट का बीएसी सूचकांक गत एक जुलाई को 39543.73 था जो कि 25 जुलाई को घटकर 37940.23 रह गया। इसी प्रकार सरकारी उपक्रमों का सूचकांक जो कि 7857.17 से घटकर 7279.27 रह गया। इसी तरीके से बैंकों का सूचकांक 35114.37 से घटकर 32922.73 रह गया।
ऑटो सेक्टर में यह सूचकांक 3627.68 से घटकर 3375.98 रह गया। यदि बीएसी के सभी उद्योगों के सूचकांकों पर नजर डाली जाये तो सभी सूचकांकों में भारी गिरावट दर्ज हुई है एवं इन्हीं गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश के सभी सरकारी बैंकों में एनपीए भारी मात्रा में बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण किया जाये तो देश की जो कम्पनियां बीएसी पर रजिस्टर्ड है उन कम्पनियों में से 95 प्रतिशत से भी अधिक कम्पनियों के शेयरों के भावों में 70 प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है।