मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)के तक पूंजी का प्रवाह बढ़ाने के लिये बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाये जिनके तहत बैंक अब गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के जरिए कृषि, छोटे उद्यमों को निवेश ऋण दे सकेंगे। बैंकों द्वारा एनबीएफसी को इस काम के लिए दिया गया कर्ज प्राथमिक क्षेत्र के लिए दिए गए ऋण की श्रेणी में रखा जाएगा। साथ ही बैंकों को किसी एक एनबीएफसी में कर्ज सीमा बढ़ाकर शेयर पूंजी (टियर-1) के 20 प्रतिशत करने की अनुमति दी गयी है। फिलहाल यह सीमा 15 प्रतिशत है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘पिछले एक साल में रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को कर्ज प्रवाह बढ़ाने के लिये कदम उठाया है। इसी कड़ी में बैंकों को किसी एक एनबीएफसी में कर्ज सीमा बढ़ाकर शेयर पूंजी (टियर-1) का 20 प्रतिशत करने की अनुमति दी गयी है।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्राथमिक क्षेत्रों को कर्ज बढ़ाने के इरादे से पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (म्यूचुअल फंड संस्थानों को छोड़कर) को बैंकों द्वारा कर्ज देने की अनुमति दी गयी है। इसके तहत बैंक एनबीएफसी को 10 लाख रुपये तक कृषि (निवेश ऋण), सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को 20 लाख रुपये तथा आवास के लिये प्रति कर्जदार 20 लाख रुपये तक (फिलहाल 10 लाख रुपये) के कर्ज के लिये ऋण दे सकेंगे। इस श्रेणी के कर्जों को प्राथमिक क्षेत्र के कर्ज के अंतर्गत माना जाएगा। बाद में संवाददाताओं से बातचीत में दास ने कहा कि किसी भी बड़ी और बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) को डूबने नहीं दिया जाएगा। दास ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब कई एनबीएनफसी और कुछ आवासीय वित्त कंपनियां भुगतान के लिए नकद धन की गंभीर तंगी से जूझ रही हैं। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने करीब 50 बड़ी एनबीएफसी की पहचान की है जिनमें कुछ आवास ऋण देने वाली कंपनियां भी शामिल हैं। इनकी निगरानी की जा रही है।दास ने द्वैमासिक नीति समीक्षा की घोषणा करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करने की हमारी कोशिश है कि किसी बड़े और महत्वपूर्ण एनबीएफसी को डूबने नहीं दिया जाए।’’ उन्होंने एनबीएफसी के गारंटी वाली पूल किए गए रिणों की खरीद पर सरकारी बैंकों को पहले घाटे पर 10 प्रतिशत की सरकारी गारंटी देने की बजट घोषणा की याद दिलायी। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने इसके क्रियान्वयन में मदद के लिये तरलता से संबंधित कदमों की घोषणा की। इन प्रयासों से एनबीएफसी को 1.3 हजार अरब रुपये के कर्ज की अतिरिक्त सुविधा मिल सकती है। हालांकि यह सुविधा सिर्फ बेहतर रेटिंग वालों को ही मिलेगी।