नई दिल्ली, 01 अगस्त । राज्यसभा में बृहस्पतिवार को सदस्यों ने इन्सुलिन के इंजेक्शन की सीरिंज सहित घरों में निकलने वाले बायोमेडिकल अपशिष्ट के निपटान, स्मार्ट सिटी परियोजना तथा वृद्धावस्था पेंशन सहित अलग अलग मुद्दे उठाये गए और सरकार से इनके समाधान की मांग की गई। डॉ महात्मे ने इसे स्वास्थ्य के लिए खतरा बताते हुए कहा कि ऐसा बायोमेडिकल अपशिष्ट संक्रमण की वजह बन सकता है।

इन्सुलिन के इंजेक्शन की सिरिंज सहित घरों में निकलने वाले बायोमेडिकल अपशिष्ट से स्वास्थ्य को खतरे पर चिंता जाहिर करते हुए राज्यसभा में भाजपा के डॉ विकास महात्मे ने सरकार से इस बारे में जागरूकता फैलाने तथा इन अपशिष्ट के निपटान के लिए नियम बनाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि देश में मधुमेह के मरीजों की संख्या कम नहीं है और ये मरीज इन्सुलिन पर निर्भर हैं। इन्सुलिन ही नहीं बल्कि अन्य प्रकार की सिरिंज भी इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाती है।

डॉ महात्मे ने इसे स्वास्थ्य के लिए खतरा बताते हुए कहा कि ऐसा बायोमेडिकल अपशिष्ट संक्रमण की वजह बन सकता है। जागरूकता के अभाव में यह खतरा और बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों और नर्सिंग होम में ऐसे बायोमेडिकल अपशिष्ट के निपटान के लिए नियम हैं लेकिन घरों में होने वाले ऐसे बायोमेडिकल कचरे के निपटान के लिए नियम नहीं हैं। भाजपा सदस्य ने सरकार से इस बारे में जागरूकता फैलाने तथा अपशिष्ट के निपटान के लिए नियम बनाए जाने की मांग की।

भाजपा के रामकुमार वर्मा ने राजस्थान से दिल्ली में आ कर बसे बैरवा समुदाय के लोगों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह लोग करीब 30 से 40 साल से दिल्ली में रह रहे हैं लेकिन दलित समुदाय के इन लोगों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल नहीं किए जाने की वजह से उन्हें दिल्ली में वह लाभ नहीं मिल पा रहे हैं जिसके वह पात्र हैं। वर्मा ने बैरवा समुदाय के लोगों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किए जाने की मांग की।

इस पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि किसी भी समुदाय को अनुसूचित जाति या जनजाति या ओबीसी की सूची में शामिल करने की एक प्रक्रिया होती है। इसके तहत पहले राज्य के मंत्रिमंडल से प्रस्ताव को मंजूरी मिलना आवश्यक है। फिर यह प्रस्ताव जनसंख्या पंजीयक के पास भेजा जाता है। वहां से इसे अनुसूचित जाति आयोग या अन्य संबंधित आयोग के पास भेजा जाएगा और फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद वह संसद में पेश किया जाएगा। संसद की मंजूरी मिलने पर वह कानून का रूप लेगा। सभापति ने कहा कि इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही किसी जाति को अपेक्षित सूची में स्थान मिल पाता है।

ऐसा ही मुद्दा सपा के विशंभर प्रसाद निषाद ने उठाया। उन्होंने कहा कि अलग अलग जातियों को विभिन्न प्रदेशों में अलग अलग श्रेणियों में रखे जाने की वजह से उन्हें किसी राज्य में आरक्षण का लाभ मिलता है और किसी राज्य में नहीं मिलता। निषाद ने कहा कि अब आधार कार्ड को ध्यान में रखते हुए एक ही प्रमाणपत्र बनाया जाना चाहिए ताकि आरक्षण के लाभ मिलने या न मिलने की समस्या हल हो सके। तृणमूल कांग्रेस के मनीष गुप्ता ने 27 जुलाई को उत्तर भारत में भारतीय सेना के एक पूर्व कर्मी पर कथित हमले का मुद्दा शून्यकाल में उठाया। उन्होंने कहा कि सेना देश की रक्षा करती है और देश की खातिर सैनिक अपनी जान की परवाह नहीं करते। पूर्व सैनिक पर हमला कर उसे घायल किया गया। यह चिंता की बात है।

गुप्ता ने सरकार से पूरे मामले की गहन जांच करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। शून्यकाल में भाजपा के श्वेत मलिक ने स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए जिन 100 शहरों की सूची बनाई गई उनमें पंजाब के अमृतसर, लुधियाना एवं जालंधर शहर भी शामिल हैं।

मलिक ने कहा कि इस परियोजना के वित्तपोषण में केंद्र और राज्य की भागीदारी 50-50 प्रतिशत की है। केंद्र सरकार ने परियोजना के लिए 1,500 करेाड़ रुपये मुहैया कराए हैं लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए अपना हिस्सा नहीं दे रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि एक संसदीय दल को या अधिकारियों के एक दल को पंजाब भेज कर स्मार्ट सिटी परियोजना की स्थिति का पता लगाया जाना चाहिए।

जदयू की कहकशां परवीन ने 60 साल से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को मासिक पेंशन दिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत बुजुर्गों को 400 रूपये प्रति माह दिए जाते हैं। लेकिन विभिन्न कारणों के चलते कई बुजुर्ग इस योजना के लाभ से वंचित हैं। भाजपा के विनय सहस्रबुद्धे ने स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक और दलित रचनाकार अन्ना भाऊ साठे से जुडा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आज तिलक की पुण्यतिथि और साठे की जयंती है। सहस्रबुद्धे ने मांग की कि तिलक की जन्मस्थली रत्नागिरी और चौपाटी को विकसित किया जाना चाहिए जहां तिलक का अंतिम संस्कार किया गया था।

उन्होंने कहा कि अन्ना भाऊ साठे ने उस समय दलित साहित्य के माध्यम से सामाजिक समरसता पर जोर दिया था जब दलित शब्द से लोग ज्यादा परिचित नहीं थे। भाजपा सदस्य ने मांग की कि अन्ना भाऊ साठे के साहित्य का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जाए और साहित्य अकादमी में एक दलित साहित्य पीठ की स्थापना की जाए।

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