नई दिल्ली, 30 जुलाई । कांग्रेस ने आज राज्यसभा में कहा कि तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) से संबंधित मामलों की सुनवाई परिवार अदालतों में होनी चाहिए ताकि समझौते की गुंजाइश बन सके और पीड़ित महिलाओं की गरिमा और प्रतिष्ठा बनी रह सके।
कांग्रेस की ऐमी याज्ञनिक ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि यह विधेयक केवल महिला के सशक्तिकरण से ही संबंधित नहीं है बल्कि इससे पूरा परिवार जुड़ा है। इस विधेयक से उसके पति और बच्चें भी प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को महिलाओं की गरिमा और प्रतिष्ठा को ध्यान में रखना चाहिए। विधेयक के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार तीन तलाक से संबंधित मामले आपराधिक अदालतों में चलेंगे। इसका तात्पर्य है कि न्याय पाने के लिए महिलाओं को अपराधियों की तरह अदालत में पेश होना पड़ेगा और अपराधियों की पंक्ति में खड़ा हाेना होगा।
उन्होंने कहा कि तीन तलाक से संबंधित मामले में परिवार अदालतों में चलायें जाने चाहिए और ये परिवारों से संबंधित हैं। इससे परिवारों में समझौते की संभावना बनी रहेगी और महिलाओं को अपराधियों की तरह खड़ा नहीं होना पड़ेगा। संबंधित मामलों का निपटारा भी जल्दी हो सकेगा। सुश्री याज्ञनिक ने कहा कि सरकार को समाज की मानसिकता समझनी चाहिए। तलाक से पीडित महिलाओं को समाज पहले ही दोषी मान चुका होता है। इसलिए प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए जिससे महिलाओं को कम से कम आघात लगे। महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त बनाने की वकालत करते हुए कांग्रेस सदस्य ने कहा कि सरकार को केवल मुस्लिम महिलाओं के बारे में ही नहीं बल्कि सभी वर्गों की महिलाओं के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों द्वारा अपनी पत्नियों को छोड़ने की घटनाओं पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को सुपर पावर बनाने के लिए महिलाओं को सुपर वूमेन बनाना होगा। महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त बनाया जाना चाहिए।