ब्राजील के जंगलों में लगी भयंकर आग बुझने का नाम नहीं ले रही। आग की लपटें भड़कती ही जा रही हैं। सरकारी व सामाजिक स्तर पर आग को शांत करने के लिए जितने प्रयास हो रहे हैं वह नाकाफी साबित हो रहे हैं। दक्षिणी अमेरिकी देश ब्राजील स्थित अमेजन के जंगलों में विगत दो पखवाड़े से आग ने उग्र रूप धारण किया हुआ है। इस भीषण अग्निकांड से समूचा विश्व चिंतित है। आग पर काबू पाने के लिए तमाम परंपरागत और आधुनिक तौर-तरीके अपनाए जा रहे हैं। लेकिन सभी विफल साबित हो रहे हैं। आग बुझने की बजाय और भड़क रही है। अमेजन के जंगल विश्व जगत के सबसे बड़े रेन फॉरेस्ट में गिने जाते हैं। इन जंगलों का सुरक्षित रहना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इनसे धरती को 20 से 25 फीसदी ऑक्सीजन प्राप्त होता है। जाहिर है इनका नष्ट होना न सिर्फ पड़ोसी देशों, बल्कि संसार के अन्य मुल्कों के लिए भी संकट पैदा कर सकता है। इसलिए किसी भी सूरत में आग की लपटों को शांत करना होगा। हालांकि हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। दूसरे मुल्कों से भी सहयोग लिया जा रहा है।
अभी तक आग जितनी लग चुकी है उससे काफी नुकसान होने का अनुमान है। इससे धरती की तपिश बढ़ सकती है। धीरे-धीरे अब इस अग्निकांड से पड़ोसी मुल्क भी प्रभावित होने लगे हैं। यह आग अब वेनेजुएला और बोलीविया में भी फैल गई है। आग बुझाने के लिए सैकड़ों की संख्या में एयर टैंकरों का इस्तेमाल हो रहा है। घटना को अब करीब दो पखवाड़े हो गए हैं। इसलिए आग अब छह वर्ग किलोमीटर तक जा फैली है। आग पर नियंत्रण पाने के लिए स्थानीय सरकार ने अतिरिक्त राहत और बचावकर्मी लगाए हैं। अग्निकांड से बचाने के लिए जानवरों को दूर-दराज के अभयारण्यों में भेजा जा रहा है। अमेजन के जंगलों में आग यदा-कदा लगती ही रहती है। लेकिन, इस बार घटना इतनी बड़ी हो गई कि ब्राजील का ‘साओ पाउलो‘ घने अंधेरे के कारण घुप्प हो गया है। आसमान में चारों तरफ धुंध और काले-काले गुब्बारे दिखाई पड़ रहे हैं। लोगों को सांस लेने में दिक्कतें होने लगी हैं। कई शहरों में अंधेरा छाया हुआ है।
अमेजन के वर्षावनों में लगी भीषण आग पर संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, भारत, चीन, फ्रांस आदि देशों ने भी चिंता व्यक्त की है। उनकी चिंता सौ फीसदी वाजिब है। दरअसल मौजूदा समय में पूरा संसार जलवायु संकट की समस्या से आहत है। इस लिहाज से धरा को ऑक्सीजन और जैव विविधता के सबसे बड़े स्त्रोत में ज्यादा नुकसान सहन नहीं किया जा सकता। जलवायु संकट के दौर में जो धरती और इंसानी जीवन को सांस लेने की जरूरतों की सप्लाई करता हो, उसका सुरक्षित रहना अतिआवश्यक हो जाता है। लेकिन, अग्नि देवता को शायद कुछ और ही मंजूर है। उनका उग्र तांडव देखकर सभी के होश पाख्ता हो गए हैं। स्थिति पर काबू पाने के लिए ब्राजील सरकार लगातार आपात बैठकें कर रही है। जंगलों के आसपास के कई मीलों दूर रहने वालों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। समस्या से निपटने के लिए सभी को तैयार रहने का अलर्ट जारी किया हुआ है। घटना पर भारत की भी नजर बनी हुई है। ब्राजील सरकार से विदेश मंत्रालय लगातार संपर्क साधे हुए है। हर संभव सहायता की पेशकश भारत सरकार ने की हुई है।
ब्राजील के बड़े हिस्से में फैले अमेजन के जंगलों का अपना इतिहास है। वह अपनी सौन्दर्य संपदा, खूबसूरती, जड़ी-बूटियों और प्रकृति रक्षा के रूप में जाने जाते हैं। अमेजन वर्षावन, एमजोनिया या अमेजन वन के नाम से जाने जानेवाले चौड़ी पत्तियों और नमी युक्त वन है, जो दक्षिण ब्राजील और अमेरिका के अमेजन बेसिन के एक बड़े भूभाग में फैले हैं। यह बेसिन सत्तर लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर फैला है जिसमें से करीब पचपन लाख वर्ग किलोमीटर पर वर्षावन खड़े हैं। यह क्षेत्र नौ देशों की सीमाओं में सटे हैं। विशालकाय जंगली जानवर इन्हीं जंगलों में पाए जाते हैं। इसलिए इन जंगलों को बचाना कई मायनों में जरूरी हो जाता है।
इस घटना को वैश्विक संकट करार दिया जा चुका है। वैश्विक संकट, इसलिए घोषित किया गया है क्योंकि जमीन के भू-भाग को सींचने के लिए इन्हीं जंगलों से सबसे ज्यादा ऑक्सीजन वर्षा के रूप में प्राप्त होती है। मौजूदा अग्निकांड से भारी नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। आग से जंगलों के भीतर जमा हुआ कार्बन वायुमंडल में चला जाएगा। जिससे वर्षावन की कार्बन अवशोषण की क्षमता कम होगी। इसका प्रत्यक्ष असर जलवायु संकट को और गहराएगा। अग्निकांड के बाद ब्राजील सरकार ने घटना को लेकर कुछ आंकड़े प्रस्तुत किए हैं जो भयावह स्थिति को दर्शा रहे हैं। विगत कुछ वर्षों से अमेजन के जंगलों में आग की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। इसी साल जनवरी से लेकर अगस्त तक आग की छिटपुट करीब 75,000 घटनाएं घटी। हालांकि उन्हें समय रहते रोका जा सका। पिछले साल भी करीब 39,759 घटनाएं हुई थीं।
अमेजन आग हादसे में मानवीय हिमाकत सामने आई है। किसानों द्वारा लकड़ी काटने और शिकारियों द्वारा शिकार करने की घटनाओं को मुख्य कारण बताया गया है। हालांकि अमेजन के जंगलों में गर्मी के दौरान आग लगना सामान्य बात होती है। लेकिन उस पर पार पाने के लिए सरकारी स्तर पर पुख्ता इंतजाम होते हैं। लेकिन मौजूदा प्रलयकारी आग की लपटों को रोकना सरकारी सिस्टम के बूते से बाहर हो गया है। हमारे यहां उतराखंड के जंगलों में भी कमोबेश कुछ ऐसी ही आग की घटनाएं प्रत्येक साल घटती हैं। पर, इतना विकराल रूप फिर भी नहीं देखने को मिलता। जंगलों में आग लगना अब प्राकृतिक कारण नहीं होता, अप्राकृतिक कारणों के चलते ही आग लगती है।
हिन्दुस्तान के जंगलों में ज्यादातर पशु तस्कर आग की घटनाओं को अंजाम देते हैं। हाथी के दांतों की बड़े स्तर पर तस्करी होती है। हाथी जिन स्थानों पर ज्यादा पाए जाते हैं, तस्कर वहां आग लगा देते हैं। आग की चपेट में आकर हाथी हताहत हो जाते हैं। उसके बाद तस्कर हाथियों के दांत निकाल लेते हैं। तस्कर इस बात की परवाह भी नहीं करते कि उनकी जरा-सी भूल कितनी बड़ी घटना को जन्म दे देती है। आग की लपटें जंगलों में रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं को नुकसान पहुंचाती हैं। अमेजन के जंगलों में जीव-जंतुओं के अलावा वनस्पति वस्तुओं की बहुतायत होती है। वहां भड़की आग सभी को नष्ट करती हुई आगे बढ़ रही है। अनुमान के मुताबिक वनस्पति व जीव-जंतुओं की करीब 40 लाख प्रजातियों और 15 लाख मूल निवासियों के आवास वाले अमेजन बेसिन जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में ये जंगल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।