नई दिल्ली,। राष्ट्रीय राजधानी में रविदास मंदिर ढहाए जाने के विरोध में प्रदर्शन करने वाले दलित समूहों के मंच ने तुगलकाबाद में हुई हिंसा की निंदा की और कहा कि विवादित स्थल तक बुधवार शाम को मार्च निकालने का निर्णय कुछ लोगों का व्यक्तिगत निर्णय था। अखिल भारतीय संत शिरोमणि गुरु रविदास मंदिर संयुक्त संरक्षण समिति के संयोजक अशोक भारती ने बताया कि संगठन ने रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आह्वान किया था लेकिन कुछ लोगों ने विवादित स्थल तक जाने का निर्णय किया। उन्होंने दावा किया, ‘‘जो लोग मंदिर स्थल तक गए उनमें कुछ आध्यात्मिक नेता भी शामिल हैं। पुलिस ने उनपर भी लाठियां चलाई। हम हिंसा की निंदा करते हैं, लेकिन लोगों को पता होना चाहिए कि पहले पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग किया था।’’ भारती ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 10 अगस्त को डीडीए द्वारा ढहाए गए मंदिर वाले स्थान पर संत रविदास की प्रतिमा स्थापित करने कर निर्णय किया था। उन्होंने कहा, ‘‘हम आज नहीं तो कल यह काम करेंगे, लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से। कुछ लोग बुधवार की शाम को भावुक हो गए और प्रदर्शन ने हिंसक मोड़ ले लिया।’’ भारती ने कहा कि रामलीला मैदान में यह एक दिन का प्रदर्शन था और जो लोग विभिन्न राज्यों से आए थे उन्होंने लौटना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि बुधवार को दलितों का प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो जाने के बाद पुलिस को भीड़ को तितर बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा और अश्रु गैस के गोले छोड़ने पड़े। इसके बाद से तुगलकाबाद क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया।