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नई दिल्ली, 31 जुलाई। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने आज राज्यसभा में आरटीआई, तीन तलाक और यूएपीए विधेयकों का मुद्दा उठाया। उन्होंने इन विधेयकों का हवाला देकर कहा कि सरकार ने विपक्ष को अंधेरे में रखकर ये बिल राज्यसभा से पास करवाए। बाद में विपक्षी सांसदों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और कहा कि सरकार विधेयकों के पास करवाने का अलोकतांत्रिक तरीका अपना रही है। टीएमसी सांसद ने पूछा, ‘बिल पास हो रहा है या पिज्जा डिलिवरी हो रही है?

प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुलाम नबी ने कहा, ‘सरकार ने बिल को स्टैंडिंग और सिलेक्ट कमिटी में नहीं भेजा। 25-27 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है। ये हर इंस्टीट्यूशन को एक डिपार्टमेंट की तरह चलाना चाह रहे हैं। हमारा आरोप सरकार के खिलाफ है न कि राज्यसभा के सभापति के खिलाफ। हमने आरटीआई बिल के बारे में मांग की थी कि इसे सिलेक्ट कमिटी में भेजा जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ‘

उन्होंने आगे कहा, ‘ट्रिपल तलाक और यूएपीए बिल ए कैटिगरी में थे। परसों चुपके से रात को नौ और 10 बजे के बीच से सदन में लिस्ट कर दिया गया। तब हमें पता चला कि ट्रिपल तलाक बिल आनेवाला है। बीजेपी के सांसद इसीलिए मौजूद थे क्योंकि परिस्थितियां ऐसी थीं कि उनके सांसद मौजूद हों। विपक्ष के सांसद इसलिए मौजूद नहीं थे क्योंकि समय नहीं था और विपक्ष को पता नहीं था कि कौन सा बिल आ रहा है। यह अलोकतांत्रिक है। ‘ वहीं, कांग्रेस सांसद आनन्द शर्मा ने कहा कि पार्ल्यामेंट का महत्व नहीं रह गया है। विधेयकों पर विपक्ष को शामिल नहीं किया जा रहा है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी सरकार पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ’18 बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हुए हैं। सिर्फ एक बिल इस सत्र में स्क्रूटिनी के लिए गया है। हम बिल को बेहतर बनाने के लिए उसकी स्क्रूटिनी की बात कह रहे हैं। पार्ल्यामेंट में क्या हो रहा है? बिल पास हो रहा है या पिज्जा डिलिवरी हो रही है? यह जल्दबाजी और लोकतंत्र के खिलाफ है। ‘

इससे पहले, गुलाम नबी आजाद राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान अचानक अपनी सीट पर खड़े हो गए और इन विधेयकों का मसला उठाया। उन्होंने कहा, ‘मैं माननीय सभापति महोदय का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं कि जब आरटीआई पर इस सदन में चर्चा हो रही थी, हम उस बिल को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजना चाहते थे। विपक्ष कई और विधेयकों को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजना चाहता था। तब सरकार ने संसदीय मामलों के मंत्री और अन्य सहयोगियों के जरिए हमसे संपर्क किया। ‘

गुलाम नबी ने कहा कि सरकार ने विपक्ष से पूछा था कि हम किन विधेयकों को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजना चाहते हैं? ‘उन्होंने कहां, ‘हमें 23 विधेयकों की सूची दी। हम उनमें से कम-से-कम आधे विधेयकों को भेजना चाहते थे, लेकिन हमसे कहा गया कि जितना कम हो सकता है, उतना कम किया जाए। इसलिए हमने 6 विधेयकों को ए कैटिगरी में जबकि 2 विधेयकों को बी कैटिगरी में डाला। इस फैसले में पूरे विपक्ष की सहमति थी। ‘

कांग्रेस सांसद ने कहा कि जिस बिल पर कल चर्चा हुई, वह नंबर 1 बिल था जिसे सिलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाना था। साथ ही, जिस (अवैध गतिविधि रोकथाम कानून यानी यूएपीए) में संशोधन का विधेयक को नंबर 2 के रूप में सदन में आज चर्चा के लिए लिस्ट किया गया था, उसे भी विपक्ष ने सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की सिफारिश की थी।

उन्होंने आगे चूंकि सरकार ने विपक्ष को नहीं बताया कि उसकी सिफारिश नहीं मानी गई, इसलिए हमें लग रहा था कि बिल को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजा जा रहा है। चूंकि जिन 6 बिलों को हमने टॉप प्रायॉरिटी में रखा था, उन्हें सिलेक्ट कमिटी पर नहीं भेजकर सदन में लिस्ट कर दिया गया। हम अंधेरे में रह गए, इसलिए अपने सांसदों को सूचना नहीं दे पाए। कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘सरकार ने यह अच्छा नहीं किया। ‘

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