नई दिल्ली: देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के लिए तब्लीगी जमात के लोगों को जिम्मेदार बताने के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जमीयत का आरोप है कि मीडिया का एक वर्ग मार्च में हुए निजामुद्दीन मरकज के कार्यक्रम को लेकर नफरत फैला रहा है। इसलिए केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह मुस्लिमों को लेकर फैलाई जा रहीं फेक न्यूज पर रोक लगाए और इनके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

जमीयत के वकील एजाज मकबूल ने याचिका में कहा है कि तब्लीगी के कार्यक्रम में हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए पूरे मुस्लिम समुदाय को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इन दिनों सोशल मीडिया में कई तरह के वीडियो और फेक न्यूज शेयर की जा रही हैं। जिनसे मुस्लिमों की छवि खराब हो रही है। इनसे तनाव बढ़ सकता है, जो साम्प्रदायिक सौहार्द्र और मुस्लिमों की जान पर खतरा है। साथ ही यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन भी है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस ने तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद को कोरोना संकट के मद्देनजर आयोजन टालने के लिए कहा था, लेकिन इसके बाद भी मरकज के कार्यक्रम में देश-दुनिया के करीब 9 हजार लोग जुटे थे। इसके बाद हजारों लोग यहां से देश के अलग-अलग हिस्सों में धार्मिक प्रचार के लिए निकल गए थे। तेलंगाना में तब्लीगी से जुड़े लोगों की कोरोना से मौत का खुलासा होने पर पुलिस ने मकरज से करीब 2300 लोगों को निकालकर क्वारैंटाइन किया था। इनमें से कई लोग संक्रमण के कारण दम तोड़ चुके हैं।

सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में कोरोना के 30 फीसदी मामले तब्लीगी से जुड़े लोगों की वजह से बढ़े हैं। अब तक मिले 4000 हजार से ज्यादा संक्रमितों में 1445 जमातियों के हैं। इनके संपर्क में आए 25 हजार लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है। हरियाणा के 5 गांव पूरी तरह सील कर दिए गए हैं।

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