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नई दिल्ली, । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा है कि आईएनएक्स मीडिया मामले में उन्हें कर्ता-धर्ता बताने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणी पूर्णतय: निराधार है और इस मामले में दर्ज प्राथमिकी ‘‘राजनीति से प्रेरित और प्रतिशोध की कार्रवाई’’ है। चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तारी से पूर्व जमानत के लिए दी गई अपनी याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। चिदंरबम ने एक बयान में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को मामले में कर्ता-धर्ता यानी मुख्य षड्यंत्रकारी बताने वाली न्यायाधीश की टिप्पणी पूरी तरह निराधार है और कोई सामग्री इसकी पुष्टि नहीं करती। न्यायाधीश ने यह अहम तथ्य नजरअंदाज कर दिया कि याचिकाकर्ता ने उस विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की सर्वसम्मत सिफारिशें केवल स्वीकृत कीं जिसकी अध्यक्षता आर्थिक मामलों के सचिव ने की और इसमें भारत सरकार के पांच अन्य सचिव शामिल थे।’’ उन्होंने कहा कि अदालत ने कहा कि मामले की गंभीरता जमानत अस्वीकृत किए जाने को न्यायोचित ठहराती है। यह टिप्पणी स्पष्टत: ‘‘अवैध एवं अनुचित’’ है। मूल निवेश और इसके बाद होने वाले अन्य निवेश के लिए मंजूरी दी गई थी। चिदंबरम ने कहा, ‘‘दोनों निवेश प्रस्तावों की सामान्य तरीके से समीक्षा की गई और इसे आगे बढा़या गया और एफआईपीबी के सामने रखा गया। एफआईपीबी ने मंजूरी दिए जाने की सिफारिश की थी और याचिकाकर्ता ने इस सिफारिश को केवल स्वीकृति दी। एफआईपीबी के किसी सदस्य को गिरफ्तार करने की कोशिश नहीं की गई।’’ उन्होंने कहा कि वह राज्यसभा के मौजूदा सदस्य हैं और पहले कभी किसी मामले में आरोपी नहीं रहे हैं। याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता के न्याय से भागने की कोई आशंका नहीं है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जांच में पूरा सहयोग करने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी की कोशिश का मकसद केवल उन्हें शर्मसार करना है और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है।’

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