नई दिल्ली: केन्द्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से कर्नाटक और केरल की सीमा पर लगाये गये अवरोध हटाने के बारे में दोनों राज्यों के बीच सहमति हो गयी है और अंतरराज्यीय सीमा पर मरीजों को इलाज के लिये ले जाने के बारे में रूपरेखा बन गयी है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह जानकारी दी। पीठ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ कर्नाटक सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी। मेहता ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी की वजह से सड़क मार्ग अवरूद्ध किये जाने का विवाद दोनों राज्यों ने सुलझा लिया है। उन्होंने कहा कि तीन अप्रैल के शीर्ष अदालत के आदेश के अनुरूप कर्नाटक और केरल के मुख्य सचिवों के साथ केन्द्रीय गृह सचिव की बैठक हुयी थी जिसमें तलापड़ी सीमा से इलाज के लिये मरीजों को ले जाने के मापदंडों पर सहमति हुयी। पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में सीमा विवाद के मुद्दे पर केरल उच्च न्यायालय के एक अप्रैल के आदेश के खिलाफ कर्नाटक सरकार सहित सारी याचिकाओं का निस्तारण कर सकती है। कर्नाटक सरकार ने अपनी अपील में कहा था कि उच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर यह आदेश दिया है। राज्य सरकार का कहना था कि यह विवाद राज्यों के सीमावर्ती जिलों से कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिये एक सड़क बंद करने से संबंधित है।राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा था, ‘‘कर्नाटक ने विशेष रूप से मैसूर-विराजपेट-कन्नूर राजमार्ग पर मकुट्टा चेकपोस्ट बंद की है। हालांकि उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करने और इस मार्ग की बंदी खत्म करने का निर्देश दिया है।’’ शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को केंद्रीय गृह सचिव के साथ बैठक करके इस विवाद का सर्वसहमति से हल खोजना चाहिए।इस बीच, केरल सरकार ने कर्नाटक की अपील के जवाब में सोमवार को दाखिल अपने जवाब में कहा था कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से कर्नाटक द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों और सीमा की सड़कों को अवरूद्ध करके लोगों को मेडिकल उपचार से वंचित करना और आवश्यक वस्तुओं के सुगम आवागमन को अवरूद्ध करना नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन है।