Money profit

नई दिल्ली । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने घरेलू पूंजी बाजारों से इस महीने अब तक 3,014 करोड़ रुपये की निकासी की है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा एफपीआई पर कर-अधिभर हटाए जाने से वह वापस स्थानीय शेयर बाजारों में निवेश का रुख कर सकते हैं। डिपॉजिटरीज के आंकड़ों के अनुसार एक से 23 अगस्त के बीच एफपीआई ने शेयर बाजारों से 12,105.33 करोड़ रुपये की निकासी की। लेकिन बांड बाजार में 9,090.61 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस प्रकार उन्होंने समीक्षावधि में घरेलू पूंजी बाजार (शेयर और बांड) से कुल 3,014.72 करोड़ रुपये की निकासी की है।

ग्रो के मुख्य परिचालन अधिकारी और सह-संस्थापक हर्ष जैन ने कहा, ‘‘15 कारोबारी सत्रों में से केवल दो सत्र में ही विदेशी निवेशकों ने शुद्ध लिवाली की। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, ऊंची आय वाले निवेशकों पर बजट में कर की दर बढ़ाने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दरों में कटौती जैसे मिश्रित कारणों के चलते एफपीआई की शेयर बाजार में बिकवाली जारी रही। आर्थिक वृद्धि को सहारा देने के उद्देश्य से सरकार ने शुक्रवार को कई कदम उठाए जाने की घोषणा की थी। इसमें धनाढ्य घरेलू और विदेशी निवेशकों पर बजट में लगाए गए कर-अधिभार को वापस लेना अहम रहा।

जुलाई में 2019-20 के बजट में यह प्रावधान किए जाने से पहले एफपीआई देश में लगातार शुद्ध लिवाल बने हुए थे। एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार में जून में 10,384.54 करोड़ रुपये, मई में 9,031.15 करोड़ रुपये, अप्रैल में 16,093 करोड़ रुपये, मार्च में 45,981 करोड़ रुपये और फरवरी में 11,182 करोड़ रुपये का निवेश किया था। हालांकि जुलाई में एफपीआई ने 2,985.88 करोड़ रुपये की बिकवाली थी। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेस के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी. के. विजयकुमार ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की शुक्रवार की घोषणाओं से निवेशक वापस लौटने और सरकार के और सुधार लाने की उम्मीद है।

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