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नई दिल्ली, 02 अगस्त । राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में तीसरे दिन भी डाक्टर हड़ताल पर रहे। डॉक्टरों के विरोध के बीच गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्यसभा में एनएमसी बिल को पास करा दिया, जबकि 29 जुलाई को लोकसभा में यह बिल पास हो गया था। पूरे देश के डॉक्टर इस बिल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। राजधानी के करीब 50 से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में हड़ताल होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए दिनभर भटकना पड़ा।

हड़ताल की वजह से लगभग सात हजार छोटे-बड़े ऑपरेशन टालने पड़ गए। वहीं करीब 80 हजार से ज्यादा मरीजों को उपचार नहीं मिल सका। दिल्ली एम्स, सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के साथ साथ दिल्ली सरकार और नगर निगम के अस्पतालों में हुई हड़ताल में करीब 20 हजार रेजीडेंट डॉक्टर शामिल हुए। कई मरीज ऐसे भी थे जो सुबह से एंबुलेंस में एक से दूसरे और फिर तीसरे अस्पताल इलाज के लिए पहुंचे, लेकिन हर जगह से उन्हें रेफर ही किया गया। डॉक्टरों के हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से बंद पड़ी हैं।

इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। हड़ताल की वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गंगा नगर से आई सुमन अपने बेटे के पैरालाइज का इलाज कराने आई थीं, लेकिन 4 दिन से परेशान हैं, इलाज नहीं हो रहा है। अपनी बीवी का इलाज कराने के लिए रतिराम शर्मा पीलीभीत से आए हैं। उनकी पत्नी को ब्रेन कैंसर है। परेशान हैं, लेकिन इलाज नहीं मिल पा रहा है।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल को मोदी सरकार राज्यसभा में भी पास कराने में कामयाब रही। वहीं इस बिल के खिलाफ देशभर में डॉक्टर सड़कों पर उतर आए और गुरुवार को अधिकांश डॉक्टर हड़ताल पर रहे।

इस मामले पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने डॉक्टरों से हड़ताल पर न जाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि यह बिल डॉक्टरों के हित में है। इससे पहले एमसीआई के पास एडमिशन, मेडिकल शिक्षा, डॉक्टरों की रजिस्ट्रेशन से जुड़े काम होते थे, लेकिन अब इस बिल के पास होने के बाद यह सारा काम एनएमसी के पास चला जाएगा। इस तरह से एमसीआई की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन ले लेगा।

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