कोलकाता । पांच सरकारी कंपनियों के संयुक्त उपक्रम हिंदुस्तान उर्वरक एवंरसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के प्राकृतिक गैस आधारित तीन उर्वरक संयंत्रों की स्थापना का काम समय के अनुरूप आगे बढ़ रहा है और वर्ष 2021 में इन संयंत्रों से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाने का अनुमान है। ये संयंत्र उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, झारखंड के सिंदरी और बिहार के बरौनी में तैयार हो रहे हैं। इन पर करीब 22 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी। इनमें से प्रत्येक संयंत्र की क्षमता 12.70 करोड़ मीट्रिक टन सालाना होगी। एनटीपीसी, कोल इंडिया, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, फर्टीलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टीलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने मिलकर एचयूआरएल की स्थापना की है। यह संयुक्त उद्यम बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों के पुनरूत्थान के लिये बनाया गया है। एचयूआरएल के इन संयंत्रों का वित्त पोषण करने वाले बैंकों के समूह में भारतीय स्टेट बैंक मुख्य बैंक है। तीनों परियोजनाओं के लिये वित्तपोषण 75:25 के रिण- इक्विटी अनुपात पर किया गया है। कोल इंडिया ने अपनी हालिया सालाना रिपोर्ट में कहा, ‘‘सभी तीन संयंत्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है और इनमें 2021 में यूरिया का उत्पादन शुरू हो जाने का अनुमान है।’’ संयुक्त उपक्रम में कोल इंडिया की 29.67 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कंपनी उपक्रम में करीब 16 सौ करोड़ रुपये लगाएगी। इसमें एनटीपीसी और आईओसीएल प्रत्येक की इस संयुक्त उपक्रम में 29.67 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि फर्टिलाइजर कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड और हिनदुस्तान फर्टिलाइजर कारपोरेशन लिमिटेड के पास मिलकार 10.99 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सूत्रों ने बताया कि परियोजनाओं को पूरी तरह तैयार करने के लिये ठेका दिया गया है। इन तीन परियोजनाओं के अलावा 12.70 टन सालाना उत्पादन क्षमता एक संयंत्र तेलंगाना के रामागुंडम में भी तैयार हो रहा है जो कि 2019 के अंत तक बन जाने की उम्मीद है। यह एफसीआईएल और एचएफसीएल की पांच बंद इकाइयों में से एक है। इसका पुनरूद्धार एक नई सार्वजनिक क्षेत्र की संयुक्त उद्यम कंपनी के जरिये किया जा रहा है।