नई दिल्ली । केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय ईंधन कंपनियों को वित्तपोषण पाने में किसी तरह की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ रहा है। ऐसी खबरें हैं कि नॉर्वे के सरकारी पेंशन कोष समेत कुछ स्वायत्त कोषों ने जीवाश्म ईंधन से संबंधित परियोजनाओं और कंपनियों में निवेश नहीं करने का निर्णय लिया है। प्रधान ने बीएनईएफ शिखर सम्मेलन में यहां कहा, ‘‘कहीं कोई चुनौती नहीं है। मैंने अपने संबोधन में कहा है कि पेंशन कोष एवं अन्य कोष इच्छुक हैं।’’ उन्होंने वित्तपोषण पाने में भारतीय ईंधन कंपनियों को हो रही दिक्कत को लेकर पूछे जाने पर यह कहा। प्रधान ने कहा, ‘‘भारत का बढ़ता ईंधन क्षेत्र विदेशी निवेशकों के लिये आकर्षक है। इस क्षेत्र को पश्चिमी देशों, एशियाई देशों और पश्चिम एशियाई देशों के स्वायत्त कोषों, पेंशन कोषों तथा दीर्घकालिक रणनीति निवेशकों ने लगातार निवेश मिलता रहा है।’’ उन्होंने कहा कि अगले आठ साल में गैस के बुनियादी संरचना क्षेत्र में देश को 7.5 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश मिलने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि भारत इस साल तीन हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा और निकट भविष्य में पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य है।