Indian Oil

नयी दिल्ली । देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी) रिफाइनिंग और पेट्रोरसायन क्षमता बढ़ाने को लेकर अगले 5-7 साल में 2 लाख करोड़ रुपये निवेश करेगी। कंपनी के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि आईओसी बाजार में अपनी मजबूत स्थिति बनाये रखने को लेकर यह निवेश करने जा रही है। कंपनी का तेल रिफाइनिंग क्षमता दोगुनी कर 15 करोड़ टन सालाना करने का लक्ष्य है। इसके अलावा ईंधन और एलपीजी के खुदरा वितरण नेटवर्क को मजबूत करना, पेट्रोरसायन उत्पादन क्षमता बढ़ाना तथा अधिक कच्चे तेल एवं गैस का उत्पादन करना है। सिंह ने कंपनी की ताजा सालाना रिपोर्ट में कहा कि हम ऊर्जा के दूसरे स्रोतों के उपयोग और प्रौद्योगिकी में बदलाव देख रहे हैं। ऐसे में विभिन्न प्रकार के ग्राहकों को व्यापक ऊर्जा समाधान उपलब्ध कराने को लेकर भविष्य की कंपनी बनने के लिये आईओसी अगले 5-7 साल में 2 लाख करोड़ रुपये के निवेश पर काम कर रही है। कंपनी फिलहाल देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी है और समूह की रिफाइनिंग क्षमता 8.07 करोड़ टन सालाना है। आईओसी अब नई और पुरानी परियोजनाओं के विस्तार के जरिये रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाकर 15 करोड़ टन कर अपनी मजबूत स्थिति बनाये रखना चाहती है। साथ ही इंडियन ऑयल कारपोरेशन पेट्रो रसायन उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 1.3 करोड़ टन करना चाहती है जो फिलहाल 31.5 लाख टन है। इसके तहत कंपनी पानीपत नाफ्था इकाई की क्षमता बढ़ा रही है और गुजरात, पारादीप और पानीपपत में नये कारखाने लगाने की उसकी योजना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी प्राकृतिक गैस के खुदरा वितरण नेटवर्क के तेजी से विस्तार के लिये अगले आठ साल में 10,000 करोड़ रुपये निवेश पर गौर कर रही है। आईओसी के पास 40 शहरों में गैस की खुदरा बिक्री का लाइसेंस है। कंपनी ने 2018-19 में 39.6 लाख टन प्राकृतिक गैस की बिक्री की और वह गैस कारोबार में मौजूदा बाजार हिस्सेदारी बढ़ाकर तीन गुना करना चाहती है। साथ ही उसका शहरों की संख्या मौजूदा 40 से बढ़ाकर 60 करने का लक्ष्य है। रिपोर्ट के अनुसार कंपनी तेल और गैस खोज ओर उत्पादन के क्षेत्र में भी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है। इसके लिये आईओसी पश्चिम एशिया और मध्य एशियाई तेल बहुलता वाले क्षेत्रों में निवेश करेगी। फिलहाल कंपनी के रूस, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और वेनेजुएला जैसे 10 देशों में तेल एवं गैस फील्डों में हिस्सेदारी है। कंपनी की उत्पादन क्षमता 2023-24 तक बढ़ाकर 70 लाख टन करने का लक्ष्य है जो अभी 43.9 लाख टन था।

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