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मुंबई । दिवाला प्रक्रिया का सामना कर रहे आईएलएफएस समूह ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष अपने पवन ऊर्जा कारोबार को जापान की ऑरिक्स कॉरपोरेशन को बेचने का प्रस्ताव रखा है। कंपनी का कहना है कि इससे उसे अपना 4,800 करोड़ रुपये का कर्ज कम करने में मदद मिलेगी। आईएलएफएस ने एक बयान में कहा कि उसने आईएलएफएस विंड एनर्जी लिमिटेड के तहत आने वाले अपने पवन ऊर्जा कारोबार को जापान की ऑरिक्स कारपोरेशन को बेचने का प्रस्ताव रखा है। इस पर एनसीएलटी की मुहर लगना बाकी है। एनसीएलटी के समक्ष इस प्रस्ताव को ऑरिक्स कारपोरेशन के साथ बाध्यकारी शेयर खरीद समझौता पूरा करने के बाद रखा गया है। शेयर खरीद समझौते को पूरा करने के लिए सभी बैंकों से ‘सैद्धांतिक मंजूरी’ भी ली जा चुकी है। आईएलएफएस ने कहा कि उसे इस बिक्री के लिए पिछले महीने की शुरुआत में सेवानिवृत्त न्यायाधीश डी. के. जैन से अनुमति मिल चुकी है। न्यायाधीश जैन को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने आईएलएफएस समूह की कंपनियों की समाधान प्रक्रिया के परिचालन का निगरानीकर्ता नियुक्त किया है। न्यायाधीश जैन ने इस शर्त पर यह अनुमति दी थी कि इस प्रस्ताव को एनसीएलटी के समक्ष रखकर अंतिम अनुमति ली जाएगी और बिक्री से मिलने वाली राशि को एस्क्रो खाते में रखा जाएगा। ऑरिक्स कॉरपोरेशन के पास आईएलएफएस समूह के सातों पवन ऊर्जा संयंत्र में 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। बाकी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी समूह की आईएलएण्डएफएस विंड एनर्जी लिमिटेड के पास है।

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