नई दिल्ली, 25 जुलाई। तृणमूल कांग्रेस सांसद नुसरत जहां ने एक खुला पत्र लिखकर उन 49 प्रतिष्ठित हस्तियों की सराहना की जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में घृणा अपराधों में कथित वृद्धि के बारे में हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय ‘भीड़ तंत्र के खौफनाक कृत्यों का सामना कर रहा है।’ पत्र में नुसरत जहां ने कहा है, ‘‘देश में घृणा अपराधों और भीड़ हत्या की घटनाओं में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। साल 2014-19 की अवधि में मुस्लिमों, दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ सर्वाधिक घृणा अपराध हुए हैं। साल 2019 में ही 11 से अधिक घृणा अपराध हो चुके हैं और चार लोग मारे जा चुके हैं और वे सभी अल्पसंख्यक और दबे-कुचले थे।’’ पश्चिम बंगाल से सांसद ने दावा किया कि देशभर में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जहां गो रक्षकों ने गोमांस खाने और मवेशी की तस्करी को लेकर अफवाह की वजह से लोगों पर हमला किया है। उन्होंने भीड़ हत्या की घटनाओं के पीड़ितों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘इस संबंध में सरकार के सोची समझी चुप्पी और निष्क्रियता ने हमें बुरी तरह प्रभावित किया है—हमारे देश में अन्याय के अनेक नाम हैं जिनमें तबरेज अंसारी, मोहम्मद अखलाक और पहलू खान शामिल हैं।’’ चार साल पहले उग्र भीड़ ने उत्तर प्रदेश के दादरी में गो हत्या के संदेह में 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक की हत्या कर दी थी। वहीं, पहलू खान की एक अप्रैल 2017 को दिल्ली-अलवर राजमार्ग पर मवेशी ले जाने के दौरान गोरक्षकों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। झारखंड में उग्र भीड़ ने 24 वर्षीय तबरेज अंसारी की इस साल पीट-पीटकर हत्या कर दी। भीड़ उससे ‘जय श्री राम’ का उद्घोष करने को कह रही थी। पश्चिम बंगाल के बसीरहाट से सांसद नुसरत जहां ने ‘जय श्री राम’ के नारे को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने लिखा है, ‘‘उग्र भीड़ ने वास्तव में भगवान के नाम को हत्या की चीख में बदल दिया है। भीड़ हत्या के अपराधी हमारे देश के दुश्मन के सिवाय और कुछ नहीं हैं।’’ उन्होंने केंद्र से लोकतंत्र पर इस तरह के हमले को रोकने के लिये एक कानून बनाने की गुजारिश की। उन्होंने पत्र का समापन मशहूर शायर इकबाल की पंक्तियों ‘सारे जहां से अच्छा- …….मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना’ से किया।