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नई दिल्ली । ज्वार भाटा, तरंगों जैसे समुद्री ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों से उत्पादित बिजली अब अक्षय ऊर्जा की श्रेणी में आएगी। बिजली मंत्री आर के सिंह ने बृहस्पतिवार को समुद्री ऊर्जा को अक्षय ऊर्जा की श्रेणी में लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकार के इस कदम से देश में समुद्री ऊर्जा के उपयोग को गति मिलेगी। हालांकि फिलहाल देश में समुद्री ऊर्जा की कोई स्थापित क्षमता नहीं है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने बृहस्पतिवार को जारी बयान में यह जानकारी दी। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी संबद्ध पक्षों को स्पष्ट किया है कि ज्वारीय, तरंग, ओसिएन थर्मल एनर्जी कन्वर्जन (ओटीईसी) आदि जैसे समुद्री ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों से उत्पादित बिजली अक्षय ऊर्जा की श्रेणी में आएगी। इसके साथ यह गैर-सौर अक्षय ऊर्जा खरीद बाध्यता (आरपीओ) के अंतर्गत आएगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2022 तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 1,75,000 मेगावाट करने का लक्ष्य रखा है। एमएनआरई की वेबसाइट के अनुसार देश में ज्वारीय ऊर्जा के क्षेत्र में संभावित उत्पादन क्षमता करीब 12,455 मेगावाट है। इसके लिये खंबात और कच्छ जैसे क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। वहीं देश के तटवर्ती क्षेत्रों में तरंग ऊर्जा की संभावित उत्पादन क्षमता करीब 40,000 मेगावाट जबकि ओटीईसी की संभावित क्षमता सैद्धांतिक तौर पर 180,000 मेगावाट आंकी गयी है। मंत्रालय के अनुसार ये अनुमान शुरुआती हैं। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार समुद्री ऊर्जा के उपयोग के रास्ते में प्रौद्योगिकी एक समस्या है।

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