नई दिल्ली । सार्वजनिक उपक्रम भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड(सेल) सरकार के जलशक्ति अभियान को साकार करने की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए देश भर में उपक्रम की सभी संयंत्रों और इकाइयों में अगस्त को ‘जल संरक्षण माह’ के रूप में मना रहा है।
सेल जलशक्ति अभियान के नारे ‘जल है तो कल है’ के साथ ही सेल के ‘हर बूंद मायने रखती है’ के स्लोगन के साथ ही इस मुहिम को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में जुटा हुआ है। प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण इस्तेमाल और सतत विकास शुरुआत से ही सेल की कार्यशैली का हिस्सा रहे हैं। इसके साथ ही प्राधिकरण जल संरक्षण में भी अग्रणी रहा है।
पिछले दो दशकों के दौरान उपक्रम लगातार अपने अभियानों के जरिये विशिष्ट जल खपत में तीन चौथाई कमी लाने में सफल रहा है। सेल का वर्ष 1995-96 में विशिष्ट जल खपत 15.03 घनमीटर प्रति टन कच्चा इस्पात था जो 2018-19 में घटकर 3.44 घनमीटर रह गया। यह परिणाम सेल के पर्यावरण संरक्षण और कुशल जल प्रबंधन के प्रयासों की सफलता की कहानी स्वयं बयां करता है।
सेल के अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने प्राधिकरण में ‘जल संरक्षण माह’ की शुरुआत करते हुए कहा, “आज पानी विश्व के सबसे महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक है। इसकी मांग लगातार बढ़ रही है लेकिन गुणवत्ता कम होती जा रही है, जिसने अच्छी गुणवत्ता के पानी की उपलब्धता को वैश्विक सवाल बना दिया है। इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने जल संरक्षण की पहल को स्वच्छता अभियान की ही तरह एक अभियान के रूप में शुरू किया है। जल संकट की मौजूदा गंभीर स्थिति को देखते हुए व्यापक जल अभियान, संरक्षण और पुनर्चक्रण समेत कुशल जल प्रबंधन और सबसे महत्वपूर्ण जल उपयोग के प्रति हमारे रोजमर्रा के व्यवहार में एक बड़ा बदलाव लाने की जरुरत है।”
इस्पात उद्योग को उत्पादन की विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। सेल इन प्रक्रियाओं के दौरान जरूरी जल को बड़ी मात्रा में फिर से उपयोग में लाने और उसको पुनर्चक्रण करने की जिम्मेदारी निभा रहा है। सेल के जल शोधन संयंत्र, औद्योगिक और शहर सीवेज जल शोधन एवं पुर्नवितरण, लीकेज को रोकना, वर्षा जल संचयन और अन्य कई अत्याधुनिक तकनीकों को लागू करने के जरिये अपनी पानी की खपत में कमी लाने में सफल रहा है। जल संरक्षण की विभिन्न योजनाओं की पहचान के लिए कंपनी ने अपने संयंत्रों में पानी की आडिटिंग भी की है।